Ek Saada Badshah Aur Bavarchi Ka Kissa

 Rizwan Ahmed 27-Oct-2020

वो खुश हो रहा था के बादशाह का बावर्ची बन रहा हूँ लेकिन जब उसे सादा खिचड़ी और सादा रोटी बनानी पड़ी तो उसको लगा के कहाँ आकर फस गया हूँ मुहायदा कर चूका हूँ एक साल से पहले यहाँ से जा नहीं सकता, लिहाज़ा वो तरकीबें सोचने लगा के किस तरह से यहाँ से जाएं छुड़ाऊं, आखिर उसने सोचा के कुछ ऐसा किया जाये के बादशाह खुद ही मुझे नौकरी से निकाल दे,

दोस्तों मेरा नाम रिज़वान अहमद है मै  R Entertainment में आपका स्वागत करता हूँ ,


एक बादशाह थे जो बहुत ही सादा ज़िन्दगी बसर किया करते थे जब वो तख़्त पर बैठे तो उनके लिए एक बावरची रखा गया जो तरह तरह के लज़ीज़ खाने पकाने का माहिर था,

बादशाह ने उसे बुलाया और कहा मेरे लिए तरह तरह के लज़ीज़ खाने नहीं मामूली सा खाना पकाया जायेगा एक वक़्त खिचड़ी और दुसरे वक़्त सादा सी रोटी, बादशाह की बात सुनकर बावर्ची बहुत हैरान हुवा लेकिन करता भी तो किया करता आखिर बादशाह का जो हुक्म था,

लिहाज़ा उसने ऐसा ही किया कुछ दिन गुज़रे बावर्ची परेशान हो गया क्योंकि एक माहिर बावर्ची सादा खाना कैसे पकाता


 और फिर उसे भी वही खाना खाना पड़ता था आखिरकार वो तंग हो कर नौकरी छोड़ कर चला गया,    

उसके बाद दूसरा बावर्ची बुलाया गया उसका भी यही हाल हुवा वो भी कुछ दिनों बाद नौकरी छोड़ कर चला गया आख़िरकार बात सब जगह फ़ैल गई कोई बावर्ची बादशाह के यहाँ नौकरी करने को तैयार ना होता, 

आख़िरकार एक बावर्ची को रखा गया और उससे मुहायदा किया गया के एक साल से पहले आप नौकरी नहीं छोड़ सकते, बावर्ची को हालत का पता नहीं था वो बहुत खुश हुवा आखिर को वो शाही बावर्ची बना था  उसने ख़ुशी ख़ुशी मुहायदा कर दिया,

वो खुश हो रहा था के बादशाह का बावर्ची बन रहा हूँ लेकिन जब उसे सादा खिचड़ी और सादा रोटी बनानी पड़ी तो उसको लगा के कहाँ आकर फस गया हूँ मुहायदा कर चूका हूँ एक साल से पहले यहाँ से जा नहीं सकता, लिहाज़ा वो तरकीबें सोचने लगा के किस तरह से यहाँ से जाएं छुड़ाऊं, आखिर उसने सोचा के कुछ ऐसा किया जाये के बादशाह खुद ही मुझे नौकरी से निकाल दे,

अब जो उसने खिचड़ी पकाई तो उसमे उसने बहुत ज्यादा नमक डाल दिया बादशाह ने खिचड़ी खाई और मुस्कुरा कर बावर्ची की तरफ देखा, अगले दिन उसने खिचड़ी में बिलकुल नमक ना डाला बादशाह ने खिचड़ी खाई और फिर बावर्ची को मुस्कुरा कर देखा लेकिन कुछ ना कहा, तीसरे दिन बावर्ची ने खिचड़ी में नमक बिलकुल ठीक रखा, बादशाह ने फिर उसको मुस्कुरा देखा कहा मियां चाहे खिचड़ी में नमक बहुत ज्यादा रखो या बिलकुल ना रखो या बराबर रखो लेकिन हर दिन एक जैसा रखो बार बार नमक की मिक़्दार घटा बढ़ा कर क्यों तकलीफ उठाते हो ये अलग अलग ज़ायके का खाना ठीक नहीं है,

बावर्ची हाथ जोड़ कर बादशाह के सामने खड़ा हो गया और कहने लगा बादशाह सलामत अगर जान की अमान पाऊं तो कुछ अर्ज़ करूँ,  बादशाह ने कहा हाँ कहो किया कहना चाहते हो, बावर्ची कहने लगा बादशाह सलामत मै सात बच्चों का बाप हूँ शाही बावर्ची हूँ मेरे परिवार को मुझसे बहुत उम्मीदें हैं, और मेरी हालत ये है के फांको से मर रहा हूँ, मैंने तो ये समझ कर नौकरी की थी के आपकी खिदमत करूँगा और कुछ अरसे में मालदार बन जाऊंगा मगर यहाँ तो साल भर तक फाके ही करने पड़ेंगे, 


बादशाह ने बावर्ची से पुछा तुम्हे चाहिए किया ये बताओ खाना चाहिए या पैसा चाहिए बावर्ची बोला हुज़ूर मुझे पैसा चाहिए ताके मेरी गरीबी दूर हो सके, बादशाह ने बावर्ची से कहा अच्छा तो कल एक काम करना खिचड़ी थोड़ा ज्यादा बनाना, ये सुनकर बावर्ची बहुत हैरान हुवा और चला गया, अगले  दिन वो ज्यादा खिचड़ी बना कर बादशाह के सामने लाया, 

बादशाह जितनी खिचड़ी रोजाना खाता था उतनी खिचड़ी खाई और बाकी खीचडी को सात अलग अलग थालियों में करने का हुक्म दिया और उन थालियों को ढक कर बावर्ची से कहा के ये थालियां मेरे वज़ीरों को दे आओ और उनसे कहना के बादशाह ने तोहफा भेजा है आप के लिए,

लिहाज़ा बावर्ची ने ऐसा ही किया सातों वज़ीरों के पास एक एक थाली ले कर गया और कहा के बादशाह सलामत ने आपके लिए तोहफा भेजा है वज़ीर तोहफे का नाम सुनते और अपने गले से हार निकाल कर खुश हो कर बावर्ची को देते, बावर्ची की ख़ुशी का कोई ठिकाना ना था, बावर्ची ख़ुशी ख़ुशी बादशाह के सामने गया और सारा हाल बयान किया,बादशाह ने पुछा अब तुम्हारी ज़रूरत पूरी हो जाएगी बावर्ची बोला जी हाँ बादशाह सलामत अब तो मेरी  ज़िन्दगी भर की ज़रूरतें पूरी हो गईं हैं, बादशाह ने कहा तो अब से खिचड़ी में नमक जितना ज़रूरी हो उतना ही डाला करना बावर्ची बड़ा शर्मिंदा हुवा और चला गया,

मेरे प्यारे दोस्तों अब  आप सोच रहे होंगे के ये बादशाह कौन था ये बादशाह जनाब औरंगजेब आलमगीर रहमतुल्लाह अलै थे जिनकी सादगी के किस्से तारिख के सीनो में दफ़न हैं 

मेरे प्यारे दोस्तों औरंगजेब आलमगीर रहमतुल्लाह अलै अपने वक़्त के एक बड़ी सल्तनत के बादशाह और हाल ये था के एक वक़्त में सादा खिचड़ी और दुसरे वक़्त में सादा रोटी खाते थे आपकी ज़िन्दगी बिलकुल इस्लाम के मुताबिक थी आप इंतहाई सादा मिजाज़ इंसान थे कई मोररखीन ने आपके मुताल्लिक पेशनगोइयाँ की है के आप एक वली थे, 

मेरे दोस्तों अगर मेरा ये लेख आपको पसंद आया हो तो मेरी साइट को अपनी ईमेल आईडी के साथ सब्सक्राइब करें और कमेंट बॉक्स में मुझे अपनी कीमती राये ज़रूर दें मै आपकी क़ीमती राये का मुन्तज़िर रहूँगा,

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