2 line shayari

Rizwan Ahme (Saif) 26-Oct-2020





जहाँ पहुँच कर कदम डगमगाये हैं सबके 
अब उसी मुकाम से अपना वास्ता है,

Jahan pahuch kar qadam dagmagaye sabke 
ab usee mukaam se apna wasta hai 



सफर में ऐसे कई मरहले भी आते हैं 
हर एक मोड़ पर कुछ लोग छूट जाते हैं 


जिन्हे ये फ़िक्र नहीं के सर रहे या सर ना रहे 
वो सच ही कहतें हैं जब बोलने पे आते हैं 


ज़माने को मुझसे जुदा हुवे अब तो ज़माना हो गया 
रहा मुझसे बिछड़ने को अब तो  बस तू बाकी , 

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