Pyari Pyari Baten




Rizwan Ahmed 25-Oct-2020


जो ज़रा सी बात पे दोस्त ना रहे 
समझ लेना वो कभी दोस्त था ही नहीं, 




जिस समाज में सब चलता हो 
फिर वो समाज मुश्किल से 
चलता है,






नेकी के लिए अगर तकलीफ बर्दास्त करनी पड़े तो कर लो 
क्योंकि तकलीफ तो आखिर खत्म हो जाएगी 
लेकिन नेकी ख़त्म नहीं होगी,




अच्छी किताबें और सच्चे दिल 
अक्सर लोगों की समझ में नहीं आते,



बुरी सोहबत के दोस्तों से तो कांटे अच्छे हैं 
जो एक बार जख्म देते हैं,




अपना ख्याल भी अहम् है लेकिन सबसे अहम् 
ख्याल उसका है जिसने तुझे साहिब-ए-ख्याल बनाया  



 

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