ghazlen hi ghazlen

 


Rizwan Ahmed (Saif)


  • पास आओ एक इल्तजा सुन लो 
  • प्यार है तुम से है बेपनाह सुन लो 

  • एक तुम को खुदा से बस माँगा है 
  • जब भी मांगी है कोई दुआ सुन लो 

  • इब्तदा मोहब्बत की होती है तुम से 
  • तुम ही हो चाहत की इन्तहा सुन लो 

  • बिन तेरे जी नहीं सकते हम 
  • मेरी तरफ आओ मेरी सदा सुन लो 

  • देख लो ज़िंदगी अधूरी है 
  • ना रहो और अब जुदा सुन लो 

  • यूं तो लाखों हैं एक से बढ़ कर एक हसीं 
  • कोई तुम सा  मगर है कहाँ सुन लो 

  • खानदानी बा हया होने के सभी दावा करते हैं 
  • तुम बिना दावे के बा हया खानदानी हो सुन लो  

  • तुम सिर्फ तुम हो ज़िंदगी मेरी 
  • सच है ये बात बाखुदा सुन लो 

रिज़वान अहमद (सैफ)



  • उसका इस तरह मुस्कुराना बताता है 
  • कोई ग़म ज़रूर है जिसको वो छुपाता है 

  • बात करने के अंदाज़ से साफ़ नज़र आता है 
  • कोई ग़म ज़रूर है जिसको वो छुपाता है 

  • हर हंसने वाला अंदर से खुश नहीं होता सैफ 
  • कोई कोई हंसने वाला हंसी में ग़म छुपाता है 

  • लोगों की भीड़  में रह कर भी तन्हा होता है वो 
  • भीड़ में रह कर वो अपना अकेलपन छुपाता है 

  • दिल में आंसू होठों पे मुस्कान रखता है वो अपने 
  • हाल कुछ और होता है और लोगों को कुछ दिखता है
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  • पीते पीते अश्कों को उसने अपने ज़हर बना लिया है 
  • फिर भी कमाल है वो अपने अश्कों को पीता जाता है 

  • ज़खमों को अपने वो कभी भरने ही नहीं देता 
  • खुद ही अपने ज़ख्मों को वो छेड़े जाता है 

  • दुश्मनों से लड़ता है वो बहादुरी से हारता भी नहीं 
  • अपने अपनों से मगर वो हर बार हार जाता है 
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Rizwan Ahmed Saif

  • कभी ये दुआ के वो मेरा हो बस मेरा 
  • कभी ये डर के वो मुझसे जुदा तो नहीं 

  • कभी ये दुआ के उसे मिल जाएँ सारे जहाँ की खुशियां 
  • कभी खौफ के वो खुश मेरे बिना तो नहीं 

  • कभी ये शौक के बस जाऊं उसकी आँखों में 
  • कभी ये वहम के उसकी आँखों में कोई और बसा तो नहीं 

  • कभी ये तमन्ना के ज़माना हो मुन्तज़िर उसका 
  • कभी ये खौफ के उसे इंतज़ार किसी और का तो नहीं 

  • कभी ये आरज़ू वो जो मांगे मिल जाये उसे 
  • कभी ये वस्वसा उसने किसी और को माँगा तो नहीं 
Rizwan Ahmed Saif


  • तुम्हारा नाम लिख कर 
  • मिटाना भूल जाता हूँ

  • तुम्हे जब याद करता हूँ 
  • भुलाना भूल जाता  हूँ 

  • बहुत सी ऐसी बातें हैं 
  • जो मेरे दिल में रहती हैं 

  • मगर जब तुम से मिलता हूँ 
  • सुनाना भूल जाता हूँ 

  • मैं हर सुबह कहता हूँ 
  • के तुमको भूल जाऊंगा 

  • मगर जब शाम आती 
  • भूलाना भूल जाता हूँ 

  • कभी शिकवे भी होते हैं 
  • शिकायत भी होतीं हैं कभी 

  • तेरे मासूम चेहरे को 
  • देखते ही भूल जाता हूँ 




कोई उस शख्श सा दुनिया में कहाँ होता है 
लाखों चेहरों में जिसे दिल ने चुना होता है 

हम तो उस मोड़ पे आ पहुंचे हैं मोहब्बत में जहां 
दिल किसी और को चाहे तो गुनाह होता है 



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