mujhse juda ho gaya

 


Rizwan Ahmed (Saif)


मेरे लिए तो हर्फ़-ए-दुआ हो गया वो शख्श 

सारे दुखों की जैसे दवा हो गया वो शख्श 

मैं आसमान पे था तो ज़मीन की कशिश था वो 

मैं ज़मीन पर उतरा तो हवा हो गया वो शख्श 

सोचूं भी अब उसे तो तखील (कल्पना)  के पर जलें 

मुझसे जुदा हुवा तो खुदा हो गया वो शख्श 

सब अश्क (आंसू) पी गया मेरे अंदर का आदमी 


मैं खुश्क हो गया हरा हो गया वो शख्श 

ये भी नहीं के पास है मेरे वो हमनशीं 

ये भी नहीं के मुझसे जुदा हो गया वो शख्श 

पढता था मैं नमाज़ समझ कर उसे
 
फिर यूं हुवा के मुझसे क़ज़ा हो गया वो शख्श 


नोट:  मेरी इस वक़्त अलग से कोई कमाई नहीं है थोड़ा परेशानियों में चल हूँ रहा मेरा मेहनताना समझ कर मेरी  इस QR कोड को स्कैन करके मदद करें,

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صاحب ہماری یاد کو تو 
گناہ کبیرہ سمجھ لیا آپ نے

साहब________हमारी याद को तो 
गुनाह-ए-कबीरा समझ लिया आपने  

Sahab_______hamari yaad ko to 
gunah-e-kabira samjh liya aapne 



تم نے مجھے دیکھا ہے صرف تلخ مزاجی مے  
میں بلا کی شرارتیں تھی ہمیشہ ہنستی رہتی تھی

तुमने मुझे देखा है सिर्फ तल्ख़ मिज़ाजी में 
मैं बला की शरारती थी हमेशा हंसती रहती थी 

Tumne mujhe dekha hai sirf talkh mizaji mein 
main balaa ki sharaarti thi hamesha hansti rahti thi



میں__اپنی ناقدری پے روی بہت ہوں 
میں اتنی ام تو نہیں کے ٹھکرائی جاتی 

मैं____अपनी ना क़ादरी पे रोई बहुत हूँ 
मैं इतनी आम तो नहीं के ठुकराई जाती 

Main apni naqadri pe roi bahut hun 
main itni aam to nahi ke thukrai jati



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