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Rizwan Ahmed (Saif)


मैं आजकल आसमान को देख बातें किया करता हूँ मैं अक्सर अँधेरी रातों में आसमान को बहुत गौर से देख कर चारों तरफ नज़रें दौड़ा कर कहना तो बहुत कुछ चाहता हूँ मगर अपनी नम आँखों को उँगलियों से साफ़ कर के मुस्कुरा कर रह जाता हूँ,

मुझे पता है सब्र करने से खुदा की मोहब्बत मिल जाती है, वो खुदा जो सारे जहान का मालिक है, वो खुदा जो चाहे तो पत्थरों से भी पानी निकाल सकता है बल्कि निकाल रहा है, वो खुदा जो बंजर ज़मीन पर अपनी रहमत की बारिश  बरसाता है और हमारे लिए रिज़्क़ गल्ला निकाल देता है,

वो खुदा जो काली सियाह रात में काले पहाड़ के छोटे से सुराख़ में काले सियाह नन्ने ना दिखाई देने वाले बेज़ुबान कीड़े को देखता है उसकी धड़कन महसूस करता है और उसकी ज़रूरत उस तक पहुंचाता है,

वो खुदा जो सारे जहान के बंद दरवाज़े खोल देता है वो खुदा जो नामुमकिन को मुमकिन में बदल देता है, वो खुदा जो अपने बंदों को तहाज्जुद में उठा कर अपने सामने खड़ा कर देता है, वो खुदा एक दिन मुझे भी तहाज्जुद के क़ाबिल बनाएगा ताकि मैं बहते हुवे आंसुओं के साथ खुदा से खुदा को ही मांग लिया करूँ, 

मैं जानता हूँ के अगर खुदा मुझे मिल गया तो दुनिया की हर शय मेरे लिए बेमानी है, मुझे पता है दुनिया की सबसे पाक और  क़ीमती मोहब्बत सिर्फ खुदा की मोहब्बत है, हाँ मैं उस खुदा से उस खुदा को ही माँगना चाहता हूँ जिस खुदा से मैं अक्सर नामहरम की मोहब्बत और मिट जाने वाली चीज़ें माँगा करता था, अब मैं चाहता हूँ के अल्लाह मुझे तहाज्जुद में उठने वाला बनाये ताके मैं अल्लाह से अल्लाह को मांगू और अपनी माँ के लिए दिल का सुकून मांगू,

क्योंकि मैं जानता हूँ भले ही मेरी अम्मी ज़बान से कुछ ना कहे मगर वो मेरे छोटे भाई और मेरे वालिद साहब के दुनिया से जाने के बाद किस तरह अंदर ही अंदर तड़पती है, वैसे ही मेरी अम्मी ने ज़िंदगी में सुकून बहुत कम देखा है, और अब तो उनके दिल में पेसमेकर भी डल चूका है, इसलिए मैं चाहता हूँ के अल्लाह मुझे तहाज्जुद में उठने वाला बनाये ताकि मैं अपनी माँ के लिए अल्लाह से सुकून मांग सकूँ 

वो एक कुन कहता है और इंसान की सब परेशानी मिटा देता है, वो इंसान के हर सवाल का जवाब ज़रूर देता है, इसलिए मैं तहाज्जुद में अल्लाह से बातें करना चाहता हूँ,

जो बातें मैं अब तक किसी इंसान से नहीं कर पाया मैं वो बातें अब अल्लाह से करना चाहता हूँ, अब तक जो आंसूं मैंने दुनिया की मोहब्बत और मिट जाने वाली चीज़ों को पाने की खातिर बहाये हैं वो आंसू मैं अब अल्लाह की मोहब्बत और अल्लाह को पाने के लिए बहाना चाहता हूँ,



    

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