rafi sahab ki dariya dili
कहने लगे जीते बहुत पैसे आगये तेरे कोल,. जीतेन्द्र कहने लगे किया हुआ रफ़ी साहब, बोले तेरे मेरे कितने पैसे तय हुवे थे एक गाने के, जी चार हज़ार फिर बीस हज़ार क्यों भेजे, ज़बरदस्ती रफ़ी साहब के सैक्रेटरी सोलह हज़ार रूपये जीतेन्द्र जी को वापस कर के चले गए,
Rizwan Ahmed (Saif) 22-06-2020
रफ़ी साहब की एक छोटी सी कहानी जीतेन्द्र की ज़बानी
मैं आपका दोस्त रिज़वान अहमद रफ़ी साहब का दिलचस्प और ईमानदारी भरा एक किस्सा लेकर हाज़िर हूँ,
वैसे तो रफ़ी साहब के बारे में बातें करना उनकी तारीफें करना सूरज को चराग दिखाने के समान है, लेकिन कुछ किस्से रफ़ी साहब के इतने दिलचस्प और दिल को जीतने लेने वाले हैं के उनके बारे में लोगों को जानना बहुत ज़रूरी है, कियोंके रफ़ी साहब जितने अच्छे गायक थे जितनी प्यारी उनकी आवाज़ थी, उससे कहीं बेहतर वो इंसान थे, आप खुद सोच सकते हैं के उनकी आवाज़ में किस तरह के जादू था, जब रेडिओ ट्राजिस्टर का दौर था किसी किसी के घर में रेडिओ ट्राजिस्टर हुआ करता थे, अगर रफ़ी साहब का कोई गाना रेडिओ पर आरहा होता था, तो चलते हुवे इंसान के कान में अगर रफ़ी साहब के गाने की आवाज़ पड़ जाती थी तो उसके कदम वहीँ ठहर जाते थे, उस गाने को सुनने के लिए, अब आप इसी बात से अंदाज़ा लगा सकते थे के उनकी आवाज़ में किस कदर कशिश खिंचाव था, और यहाँ में लिख रहा हूँ के वो अपनी आवाज़ से भी ज्यादा प्यारे इंसान थे, तो आप खुद ही अंदाज़ा लगा सकते हैं के वो किस तरह के इंसान थे,
बात उस वक़्त की है जब जितेंद्र की एक एक फिल्म बन रही थी जो उनकी होम प्रोडक्शन फिल्म थी, फिल्म का नाम था दीदार ए यार ,
फिल्म बन रही थी दीदार ए यार उस ज़माने में फिल्म को बनने में चार चार पांच पांच साल गुज़र जाते थे, दीदार ए यार फिल्म बनते बनते इतनी चर्चित हो गई थे के उस फिल्म की जब एडवांस बुकिंग खुली थी तो सिनेमा हॉल में पब्लिक काम पब्लिक को कंट्रोल करने के लिए पुलिस ज्यादा थी,
खैर किस्सा ये नहीं है किस्सा कुछ और है जो मैं आपको बताने लगा हूँ, रफ़ी साहब ने उस गीत को रिकॉर्डिंग करने के लिए चार हज़ार रूपये लिए थे, उस ज़माने में पैसों की बहुत कीमत थी,
फिल्म बनते बनते चार पांच साल गुज़र चुके थे, जब उस फिल्म का आखरी गाना रिकॉर्ड हुवा जो के डुइट गाना था जिसको परदे पर रिषि कपूर और जितेंद्र पर फिल्माना था, वो गाना था मेरे दिलदार का बांकपन अल्लाह अल्लाह जिसमे रफ़ी साहब के साथ किशोर दा की भी आवाज़ थी
इस गाने के पूरा होने के के बाद जीतेन्द्र का प्रोडक्शन मैनेजर जीतेन्द्र के पास गया और पुछा के रफ़ी साहब को कितने पैसे देने हैं, जितेंद्र ने कहा किशोर जी को कितने पैसे दिए हैं ? मैनजर बोला बीस हज़ार दिए जीतेन्द्र बोले ठीक है रफ़ी साहब को भी बीस हज़ार दो,
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