chhoti si khwahish




Rizwan Ahmed (Saif) 06-06-2022

पहले अपने लिए जीने की थोड़ी से ख्वाहिश थी अब वो भी नहीं रही

मेरे अपने सलामत रहें बस इसके सिवा दिल में कोई अब जुस्तुजू ना रही

ये इम्तिहान है मेरे ऊपर मेरे अल्लाह या मेरे किसी गुनाह की है ये सज़ा 

मेरे अल्लाह मुझे बख्श दे मुझमे अब और सज़ा झेलने की  हिम्मत ना रही

मेरे आंसुओं को मेरे मालिक लोग मेरा मक्र-ओ-फरेब समझने लगे हैं अब  

मेरे आंसुओं को सूखा दे अल्लाह मुझमे अब और रोने की ताक़त ना रही  

मैं अपनों से हार जाता हूँ कभी जीतने की उनसे कोशिश नहीं करता 

हारता रहूँगा उनसे मैं हमेशा अब मुझमे अपनों को खोने की हिम्मत ना रही

गर ज़िन्दगी दीन-ए-इस्लाम पर गुज़री तो आख़िरत में सब संवर जायेगा 

अल्लाह की कसम मेरे अल्लाह अब इसके सिवा दिल में कोई आरज़ू ना रही 

मैंने सुना है अल्लाह तू रोज़-ए-हशर अपने दुखी बंदों को नाम लेकर पुकारेगा 

मेरा भी नाम लेकर पुकारना मेरे अल्लाह इसके सिवा कोई दिल में तमन्ना ना रही 

तू ख़ालिक़ है तू मालिक है तू रज़्ज़ाक़ है तू रब है तू ही ग़फ़ूरुर्रहीम है मेरे मौला

इस यक़ीन को डगमगाने ना देना परवरदिगार मेरे पास तेरे सिवा कोई उम्मीद ना रही


 

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