Dil ke jazbaat





Rizwan Ahmed (Saif) 09-05-2022

होंगी दुनिया भर की बुराई मुझमे कसम से

मगर बेवफाई नही है ज़रा मुझमे कसम से 

दिल मेरा मोम की तरह कुछ इस तरह नरम है

कूट कूट कर अल्लाह ने भरा मुझ मे सबर है

किसी के सताने पर अकेले में जाकर रो लेता हूँ

यकीन करो किसी को ज़रा भी बद्दुआ नही देता हूँ

सह जाता हूँ ज़माने के हर सितम मुस्कुराते हुवे 

देख सकता नही मगर किसी की आंख में आंसू आते हुवे

बस यही बात मेरे दिल से नही कभी निकलती है

दिल दुखाने वालों के लिए भी दिल से दुआ निकलती है 

यही सरमाया मुझे मेरे वालिद से विरासत में मिला है

इस बात का मुझे यकीन जानो नही ज़रा भी गिला है

मिट जाना बर्बाद हो जाना ज़रा भी उफ्फ ना करना 

कोई तुम्हारा बुरा भी करे तो तुम ना उसका कभी बुरा करना

ना दिल छोटा करना अगर दुनिया मे तुम्हे इसका सिला नही मिलता

रोज़-ए-हश्र छोटी से छोटी नेकी का सिला मिलने से नही टलता

वो मालिक वो ख़ालिक़ है उसकी ज़र्रे ज़र्रे पर नज़र है

क्यों घबराता है बेटा उसे तेरे हर आमाल की खबर है 

यही समझाया मुझे मेरे वालिद ने इसी की मेहनत की थी

समझाया किया उन्होंने जीते जी खुद यही कोशिश की थी  

उसी कोशिश को मैं भी आगे ले जाने की कोशिश में लगा हूँ 

होंगी दुनिया भर की बुराई मुझमे कसम से

मगर बेवफाई नही है ज़रा मुझमे कसम से 


No comments

Powered by Blogger.