andaz e bayan hindi urdu

 


Rizwan Ahmed 20-10-2021



اسکے ہاتھوں مے جو خنجر ہے جیادہ تیز ہے 

اور پھر بچپن سے اسکا نشانہ بھی تیز ہے 

جب کبھی اس پار جانے کا خیال آتا تھا مجھے 

کوئی آھستہ سے کہتا تھا کے دریا تیز ہے 

 آج ملنا تھا بچھڑ  جانے کی نیت سے ہمے

 آج بھی وو دیر سے پہنچا کتنا تیز ہے 

 اپنا سبکچہ ہار کے لوٹ آے ہو نا میرے پاس 

میں تمہے کہتا بھی رہتا تھا کے دنیا تیز ہے 

آج اسکے گال چومے ہیں تو اندازہ ہوا 

چاۓ اچّھی ہے مگر تھوڈا سا میٹھا تیز ہے 


उसके हाथों में जो खंज़र है ज्यादा तेज़ है 

और फिर बचपन से उसका निशाना भी तेज़ है 

जब कभी उस पार जाने का ख्याल आता मुझे 

कोई आहिस्ता से कहता के दरिया तेज़ है 

आज मिलना था बिछड़ जाने की नियत से हमें 

आज भी वो देर से पहुंचा कितना तेज़ है 

अपना सबकुछ हार के लौट आये हो ना मेरे पास 

मैं तुम्हे कहता भी रहता था के दुनिया तेज़ है 

आज उसके गाल चूमे हैं तो अंदाज़ा हुवा 

चाय अच्छी है मगर थोड़ा सा मीठा तेज़ है 


زندگی بھر پھول ہی بھجواؤگے 

یا کسی دن خود بھی ملنے آؤگے 

پہریداروں سے بچنگا کب تلک 

دوست تم مجھے کسی روج مرواؤگے 

خد کو آئنے مے کم دیکھا کرو 

ایک دن سورج مکھی بن جاؤگے 

ज़िंदगी भर फूल ही बिछवाओगे 

या किसी दिन खुद भी मिलने आओगे 

पहरेदारों से बचूंगा कब तलक 

दोस्त तुम मुझे किसी रोज़ मरवाओगे 

खुद को आईने में कम देखा करो 

एक दिन सूरजमुखी बन जाओगे 

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