yahoodi ke teen sawal


दोस्तों वो नौजवान कोई और नहीं बल्कि इमाम ए आज़म अबु हनीफ़ा रहमतुल्लाह अलैहि की मुबारक शख्सियत थी चुनांचे अबु हनीफ़ा रहमतुल्लाह अलैहि को बुलवाया गया, यहूदी मन ही मन खुश हो रहा था के मेरे उन सवालों के जवाब ये नौजवान किया देगा जिसका जवाब बड़े बड़े आलिम ना दे सके, 

Rizwan Ahmed 01-10-21 (Saif)


मेरे प्यारे दोस्तों अज़ीज़ों हर दौर में इस्लाम के खिलाफ साजिशें रची गईं हैं रची जा हैं  रची जाती रहेंगी, हर दौर में मुसलमानों को दीनी तालीमों से दूर रखने की नाकाम कोशिशें हुई हैं 


जिसमें सबसे बड़ा किरदार इसाईओं और यहूदियों का रहा है, जहाँ ये लोग इस्लाम को नुकसान पहुंचाने की साजिशों में लगे रहे वहीँ दूसरी ओर अल्लाह तआला के नेक और ज़हीन बन्दे इनके साजिशों को नाकाम करते रहे और इन्हे ज़लील और रुस्वा करते रहे 

ऐसा ही एक वाकिया तब पेश आया जब यहूदियों ने एक साजिश के ज़रिये मुसलमानों को नज़रियाती तौर पर कमज़ोर  करने के लिए एक बहुत बड़े यहूदी आलिम को तीन सवाल देकर भेजा 


दोस्तों पहला सवाल ये था उसके पास के अगर अल्लाह है तो उससे पहले किया था ,

दूसरा सवाल ये था उसके पास के अगर अल्लाह मौजूद है तो उसका रुख किस तरफ है,   

और तीसरा सवाल वो ये करने वाला था के अल्लाह इस वक़्त किया कर रहा है ,

उसके सवालों से बड़े बड़े उलेमा कश्मकश में थे तो अल्लाह तआला ने एक ग्यारह साल के बच्चे के ज़रिये उस शख्स ज़लील ओ रुस्वा करवाया 

मेरे प्यारे दोस्तों हमारे आक़ा सरकार ए दो आलम हज़रत मोहम्मद मुस्तुफा सल्लल्लाहु अलैहि वसललम से जानते थे के आने वाले ज़मानो में ये फितना ज़रूर सर उठाएगा, चुनांचे (सही मुस्लिम) में ये हदीस मौजूद है हज़रत अबू हुरैरा से रिवायत है आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ये इरशाद फ़रमाया के हमेशा ही लोग एक दुसरे से सवाल करते रहेंगे यहाँ तक के ये कहा जायेगा के फलां चीज़ अल्लाह तआला ने पैदा फ़रमाई है तो अल्लाह को किसने पैदा किया, जो शख्स ऐसा सवाल पाए तो ये कहे के मैं अल्लाह तआला पर इमान लाया,


मेरे प्यारे दोस्तों ये तारीखी वाक़िया और इस्लाम के खिलाफ उठने वाला फितना अब्दुल मालिक बिन मरवान के दौर का है, जब बग़दाद को इल्म ओ हिकमत का घर समझा जाता था और इस्लाम के दुश्मन यहूदियों ने आलम ए इस्लाम को नज़रियाती तौर पर कमज़ोर करने के लिए बज़ाहिर लाजवाब कर देने वाले तीन सवाल लेकर यहूदियों के एक बहुत बड़े आलिम को बग़दाद भेजा, उस यहूदी आलिम जो के बोलचाल में बहुत दमखम रखता था अपनी बेहतरीन आवाज़ से लोगों को अपनी तरफ मुतास्सिर करने का हुनर खूब अच्छे से जनता था बग़दाद की एक बहुत बड़ी मस्जिद पहुंचा जहाँ उसे मालूम था के ज्यादा से ज्यादा मुसलमानों से उसका वास्ता पड़ने वाला है,

फिर उसने वक़्त वक़्त पर लोगों ले सामने ये सवाल रखने शुरू कर दिए के खुदा से पहले किया था, जिसका जवाब आम आदमी तो दूर बड़े बड़े मुसलमान आलिम नहीं दे पा रहे थे, 

इस दौरान उसने अलग अलग मस्जिदों कर ये फितना फैलाया और अपने सवालों से सब को लाजवाब करता रहा, उसकी शोहरत शाही दरबार  पहुँच चुकी थी ये शख्श दर्जा ब दर्जा आगे बढ़ता जा रहा था और अपने सवालों से सबको लाजवाब करता जा रहा था,


           

खलीफा अब्दुल मालिक बिन मरवान जो के खुद भी बहुत बड़े आलिम थे वो बहुत रंजीदा हुवे चनांचे उन्होंने उस यहूदी को बतौर ए शाही मेहमान अपने दरबार में बुलवा लिया, और कहा के तुम्हारे इस क़याम दौरान तुम्हारे इन तीनों सवालों के जवाब एक नौजवान देगा,

दोस्तों वो नौजवान कोई और नहीं बल्कि इमाम ए आज़म अबु हनीफ़ा रहमतुल्लाह अलैहि की मुबारक शख्सियत थी चुनांचे अबु हनीफ़ा रहमतुल्लाह अलैहि को बुलवाया गया, यहूदी मन ही मन खुश हो रहा था के मेरे उन सवालों के जवाब ये नौजवान किया देगा जिसका जवाब बड़े बड़े आलिम ना दे सके, 

चुनांचे यहूदी ने बड़े रुआब और दबदबे के साथ अपना पहला ववाल किया के अगर अल्लाह एक है तो उससे पहले किया था, अभी वो अपना सवाल इतना ही कह पाया था के अबु हनीफ़ा रहमतुल्लाह अलैहि ने उसे रोकता हुवे कहा के तुम सवाल करने वाले हो और मैं जवाब देने वाला यानी तुम मांगने वाले और मैं अता करने वाला, ये कहते हुवे अबु हनीफ़ा रहमतुल्लाह अलैहि ने खलीफा से दरख्वास्त की, के देने वाली की मनसब का ख्याल रखते हुवे मेरे बैठने की जगह को इसकी जगह के साथ बदलने का हुक्म दें,


चुनांचे खलीफा अंदर ही अंदर  अबु हनीफ़ा रहमतुल्लाह अलैहि की ये बात सुनकर बहुत खुश हुवे और यहूदी को आम दरबारियों में बैठने का हुक्म दिया, और , इमाम अबू हनीफा रहमतुल्ला अलै को उस यहूदी की  नशिश्त पर बैठने की इजाज़त दी, 

उसके बाद सवालों का दौर फिर से शुरू हुवा यहूदी ने कहा के अगर अल्लाह एक है तो उससे पहले किया था , इमाम ए आज़म अबू हनीफा ने बड़े इत्मीनान से यहूदी से कहा के गिनती शुरू करो यहूदी ने गिनती शुमार करना शुरू करदी आपने उसे टोका और कहा के सही से शुमार करो, यहूदी ने फिर से शुरू से गिनती गिनी, आप ने फिर यहूदी से कहा के सही से शुमार करो, उसने उकता कर कहा के और किस तरह से शुरू करूँ , आप ने कहा शुरू करो यहूदी ने एक दो तीन फिर शुरू की, आपने यहूदी ये पुछा एक से पहले किया होता है ,


अब यहूदी के पसीने छूटे उसने कहा कुछ नहीं एक से पहला भला किया होता है,

इमाम ए आज़म अबु हनीफा मुस्कुराये और फ़रमाया के बस जानलो अल्लाह एक है और उससे पहले कुछ भी नहीं, 

खलीफा ने दुसरे सवाल करने का हुक्म दिया, यहूदी ने पुछा अगर अल्लाह मौजूद है तो उसका रुख किस तरफ है, आपने चन्द घडी सोचा और फ़रमाया के शमा (चराग) लाया जाए , चराग को जलाने के बाद आपने  यहूदी से पुछा के इस की रौशनी का रुख किस तरफ है यहूदी सकपकाया और कहने लगा इसका जवाब देना मुमकिन नहीं, आपने बहुत ही इत्मीनान से फ़रमाया के अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त जो तमाम ज़मीन ओ आसमान का नूर है उसके बारे में भी जवाब देना मुमकिन नहीं के उसका रुख किस तरफ है, 


इस जवाब के बाद यहूदी अंदर से पूरी तरह से टूट चूका था चुनांचे उसने बेदिली भरे लहज़े से तीसरा सवाल पुछा के अगर अल्लाह मौजूद है तो वो इस वक़्त किया कर रहा है, इमाम ए आज़म रहमतुल्लाह ने कहा के वो इस वक़्त एक नौजवान के ज़रिये एक यहूदी आलम को रुस्वा कर रहा है ,

इमाम ए आज़म अबु हनीफा की तरफ से ये सारे जवाब सुनकर कर तमाम दरबारियों के चेहरे ख़ुशी से चमक गए और ये फितना हमेशा हमेशा के लिए ख़त्म हो गया,


Thanks For Reading........           


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