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Rizwan Ahmed 26-09-21 (Saif)


कैसे उसने सब कुछ मुझसे छुप कर ये बदला 

चेहरा बदला रास्ता बदला बाद में घर बदला 

मैं उसके बारे में ये कहता था लोगों से 

मेरा नाम बदल देना अगर वो शख्स बदला 

वो भी कहता था मैं बदलाओ लाऊंगा 

और फिर उसने नज़रे  बदलीं और नंबर बदला 


जो मेरे साथ मोहब्बत में हुई आदमी एक दफा सोचेगा 

रात इस डर में गुज़ारी हमने कोई देखेगा तो किया सोचेगा 


ये मैंने कब कहा के मेरे हक़ में फैंसला करे 

अगर वो मुझसे खुश नहीं तो मुझे जुदा करे 

मैं उसके साथ जिस तरह गुज़ारता हूँ ज़िन्दगी 

उसे तो चाहिए के मेरा शुक्रिया अदा करे 


उसके हाथों में जो खंज़र है ज्यादा तेज़ है 

और फिर बचपन से उसका निशाना तेज़ है 

जब कभी उस पार जाने का ख्याल आता था मुझे 

कोई आहिस्ता से कहता था के दरिया तेज़ है 

आज मिलना था बिछड़ जाने के लिए हमें 

आज भी वो देर से पहुंचा था कितना तेज़ है 

अपना सब कुछ हार के लौट आये हो ना मेरे पास 

मैं तुम्हे कहता भी रहता था के दुनिया तेज़ है 

आज उसके गाल चूमे हैं तो अंदाज़ा हुआ 

चाय अच्छी है मगर थोड़ा मीठा तेज़ है 



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