रफ़ी साहब की तबियत उन दिनों ठीक नहीं थी जब आर डी बर्मन ने रफ़ी साहब को कम्पोजीशन सुनाई तो रफ़ी साहब ने कहा इस गाने की पिच ज़रा हाई है किया मैं ऐसी उम्र और ऐसी तबियत में इस गाने के साथ पूरा इंसाफ कर पाऊंगा तो आर डी बर्मन ने कहा आखरी उम्मीद भी आप हैं और उपाए भी आप हैं,
Rizwan Ahmed 25 -Nov-2020
यम्मा यम्मा यम्मा यमा ये खूबसूरत समां बस आज की रात है ज़िन्दगी कल हम कहाँ तुम कहाँ, फिल्म शान का ये गीत भारत ही किया दुनिया भर के हिंदी गानों के शौकीनों की ज़बान पर आज भी आ जाता है,
मैं आपका दोस्त रिज़वान अहमद आज आपको इस गाने के पीछे छुपी हकीकत से वाकिफ कराने जा रहा हूँ, ये हकीकत है शान फिल्म के उस गाने की जिसको सुनते ही आज भी सुनने वालों के क़दम थिरकने लगते हैं यम्मा यमा ये खूबसूरत समां
फिल्म शान का ये गाना मोहम्मद रफ़ी और आर डी बर्मन ने गाया है, आर डी बर्मन ने जब इस गाने की स्क्रिप्ट और धुन किशोर कुमार को सुनाई तो किशोर कुमार ने कहा इस गाने का अंदाज़ मेरे मतलब की नहीं पिच को बदल दो आर डी बर्मन ने कहा इस गाने की पिच ही तो इस की जान है.
रफ़ी साहब की तबियत उन दिनों ठीक नहीं थी जब आर डी बर्मन ने रफ़ी साहब को कम्पोजीशन सुनाई तो रफ़ी साहब ने कहा इस गाने की पिच ज़रा हाई है किया मैं ऐसी उम्र और ऐसी तबियत में इस गाने के साथ पूरा इंसाफ कर पाऊंगा तो आर डी बर्मन ने कहा आखरी उम्मीद भी आप हैं और उपाए भी आप हैं,
शोले की ज़बरदस्त कामियाबी के बाद जीपी सिप्पी की ये दूसरी कामियाब फिल्म थी 6 करोड़ की लागत से बनने वाली इस फिम ने तकरीबन 13 करोड़ का कारोबार किया था और ये बात है 1980 की यानी के आज के दौर में तक़रीबन 1000 करोड़ का कारोबार जो के बहुत बड़ी बात है,
इस फिल्म के निर्माता थे जीपी सिप्पी और निर्देशक थे रमेश सिप्पी गीत लिखे थे आनंद बख्शी ने और संगीतकार थे आर डी बर्मन ने आवाज़े थीं मोहम्मद रफ़ी आर डी बर्मन किशोर कुमार और उषा उथुप की, इस फिल्म में सात गाने थे, जिन में तीन गाने मोहममद रफ़ी की आवाज़ में रिकॉर्ड किये गए थे, यम्मा यम्मा, नाम अब्दुल है मेरा, और जानू मेरी जान,
मज़हर खान जिन्होंने बाद में ज़ीनत अमान से शादी कर ली थी उनकी खुशनसीबी का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है के अपनी लाइफ के पहले गाने के लिए उन्हें मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ मिली,
इस में कोई शक नहीं के इस फिल्म के सभी गाने बहुत ही शानदार थे लेकिन मैं जिस गाने की बात कर रहा हूँ वो है यम्मा यम्मा यम्मा यमा ये खूबसूरत समां बस आज की रात है ज़िन्दगी कल हम कहाँ तुम कहाँ।
जब इस गाने को आर डी बर्मन ने कंपोज़ किया था तो कम्पोजीशन बहुत हाई पिच की थी, हमेशा की तरह आर डी बर्मन ने इस गाने को अपने फॅमिली फ्रेंड किशोर कुमार की ही आवाज़ में इस गाने को रिकॉर्ड करना चाहा दूसरी आवाज़ उन्होंने अपने लिए रख छोड़ी थी क्योंकि उन्हें इस बात की खुश फहमी थी के वो बेहतरीन कंपोजर ही नहीं बेहतरीन सिंगर भी हैं, हालांकि जब उन्हें अपनी असिस्टेंट म्यूजिक डाइरेक्टटरी के बाद जो पहली फिल्म मिली वो थी महमूद की होम प्रोडक्शन छोटे नवाब,उस फिल्म में महमूद साहब हीरो थे, तो आर डी बर्मन को इलाही तू सुनले हमारी दुआ
नग़मे के लिए रफ़ी साहब से ही गुज़ारिश करनी पड़ी थी, और गुज़ारिश भी उन्होंने अपने पिता एसडी बर्मन के ज़रिये करवाई थी, एसडी बर्मन जी भी किशोर कुमार के बहुत करीब थे, लेकिन रफ़ी साहब की आवाज़ और उनके गाने का अंदाज़ एसडी बर्मन की प्रोफेशनल मज़बूरी थी,
वरना, हम बेखुदी में तुमको पुकारे चले गए, कई ख्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेखुदी ने, और, तू कहाँ ये बता इस नशीली रात में, जैसे नग़मे आज सबकी ज़बान पर ना होते, फिल्म कारवां के गाने आर डी बर्मन ने रफ़ी साहब की आवाज़ में ही रिकॉर्ड किये थे यहाँ तक के तीसरी मंज़िल के गाने तो अब भी लोगों की ज़बान पे आ जाते हैं और शरीर में तरंग पैदा कर देते हैं उन गानों को आप सजा रफ़ी साहब की आवाज़ के बगैर तसव्वुर कीजिये,
पर ये भी एक कड़वी हकीकत है के जहाँ कुछ म्यूजिक डायरेक्टर्स की ज़ाती पसंद रफ़ी साहब थे वहीँ कुछ म्यूजिक डायरेक्टर्स ऐसे भी थे जो रफ़ी साहब से बहुत मज़बूरी में गाने गवाते थे,क्योंकि वो जानते थे के रफ़ी साहब की आवाज़ ही उनके गानों को कामियाब कराने का गुरु मन्त्र है, रफ़ी साहब की आवाज़ अपनी सलाहियतों की बिना पर हमेशा ही सब की ज़रूरत रही ख़्वाह वो चाहें या ना चाहें,
ऐसा ही कुछ हाल इस गाने यम्मा यम्मा का हुवा आर डी बर्मन ने कहा इस गाने की खूबसूरती इसके पिच में ही है क्योंकि उन्हें अपनी मख़सूस आवाज़ का इस गाने में प्रदर्शन जो करना था, अब तो बस एक ही उपाए था रफ़ी साहब, रफ़ी साहब की तबियत उन दिनों ठीक नहीं थी जब आर डी बर्मन ने रफ़ी साहब को कम्पोजीशन सुनाई तो रफ़ी साहब ने कहा इस गाने की पिच ज़रा हाई है किया मैं ऐसी उम्र और ऐसी तबियत में इस गाने के साथ पूरा इंसाफ कर पाऊंगा तो आर डी बर्मन ने कहा आखरी उम्मीद भी आप हैं और उपाए भी आप हैं, इंकार मत कीजियेगा,
रफ़ी साहब तैयार तो हो गए लेकिन रिकॉर्डिंग वाले दिन उनकी तबियत ज़रा ढीली थी लेकिन रफ़ी साहब पर तो खुदा का खास करम था रिकॉर्डिंग हुई और बहुत ही ज़बरदस्त हुई प्रोफेशनल सिंगर ना होने की वजह से आर डी बर्मन को खुद को बड़ी दिक्कतें पेश आ रहीं थीं लेकिन रफ़ी साहब ने बड़ी खूबसूरती से उन जगहों को संभाल लिया जहाँ जहाँ थोड़ी बहुत टेक्निकल प्रॉब्लम नज़र आई,
रिकॉर्डिंग के कुछ दिनों बाद आर डी बर्मन को लगा के उनकी आवाज़ बहुत फीकी लग रही है तो उन्होंने रफ़ी साहब को फ़ोन किया के मैं इस गाने को फिर से रिकॉर्ड करना चाहता हूँ तो रफ़ी साहब ने कहा के ठीक है तुम्हे तसल्ली नहीं हुई तो फिर से कर लेंगे, आर डी बर्मन ने कहा के मैं अपनी आवाज़ से सैटिस्फाई नहीं हूँ रफ़ी साहब ने कहा के कोई बात नहीं फिर से कर लेंगे,
लेकिन किस्मत की खराबी देखिये वो दिन फिर कभी नहीं आया, शोले जब बनी तो ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे गाने में गुंजाईश के बावजूद आर डी बर्मन ने महज़ इस इसलिए रफ़ी साहब को नहीं लिया के कहीं किशोर कुमार की आवाज़ फीकी ना पड़ जाये,
ऐसे वाक़ियात रफ़ी साहब की ज़िन्दगी में भरे पड़े हैं, इसकी एक मिसाल अनिल बिस्वास भी हैं जिन्हे रफ़ी साहब के अंदर गुलूकारी नज़र ही नहीं आती थी लेकिन फिर भी वो वक़्त आया के उन्हें भी अपने गीत के लिए रफ़ी साहब का दामन थामना पड़ा,
बारहाल फिल्म शान हिट हुई और उसके गाने भी बहुत हिट हुवे, रफ़ी साहब का के गाये हुवे यम्मा यम्मा, नाम अब्दुल है मेरा और जानू मेरी जान तीनो गाने हिट हुवे, रफ़ी साहब ऐसे म्यूजिक डायरेक्टर्स की ज़ेहनियत भी जानते थे उनकी पसंद भी जानते थे और उनकी मज़बूरी भी, लेकिन ये उनकी सख्सियत की खूबी थी के रफ़ी साहब ने कभी किसी डायरेक्टर को ना नहीं कहा,
और शायद इसीलिए वक़्त ने हमेशा लोगों को रफ़ी साहब के सामने खड़ा कर दिया पर रफ़ी साहब ने हमेशा ज़रूरतमंदों की ज़रूरत को पूरा किया चाहे वो फ़िल्मी ज़रूरत हो या जाती ज़रूरत ऐसी हस्तियां हमारे लिए मिसाल होती हैं ज़िन्दगी के रास्तों के लिए
कहना सिर्फ ये है के इंसान सिर्फ अपनी दौलत से बड़ा नहीं होता वो बड़ा होता है अपने अख़लाक़ से अपनी साफ़ नियत से अपनी सच्चाई ईमानदारी से, अभी के लिए बस इतना ही मैं फिर से हाज़िर होऊंगा आपके लिए इसी तरह की किसी रोचक जानकारी के साथ, जयहिंद
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