Pyare Nabi Ki Pyari Hadeesen




Rizwan Ahmed 23-Oct-2020

हज़रत अबूदरदा रज़ि अल्लाहो तआला  अन्हो  फरमाते हैं के मैंने रसूल्लुल्लाह ﷺ को ये इरशाद फरमाते हुवे सुना: मुझे कमज़ोरों में तलाश किया करो इस लिए के तुम्हारे कमज़ोरों की वजह से तुम्हे रोज़ी मिलती है और तुम्हारी मदद होती है, 

(अबू दाऊद) 


हज़रत हारिसा बिन वह्ब रज़ि अल्लाहो तआला अन्हो फरमाते हैं के मैंने नबी करीम ﷺ को ये इरशाद फरमाते हुवे सुना के किया मैं तुम्हे बताऊँ जन्नती कौन है? (फिर आप ﷺ ने खुद ही इरशाद फ़रमाया के हर वो शख्स जो कमज़ोर यानि मामले और बर्ताव में सख्त ना हो बल्कि मुतवाज़े और नरम तबियत हो और लोग उसे कमज़ोर समझते हों अल्लाह तआला  से उसका ताल्लुक ऐसा हो के अगर वो किसी बात के लिए अल्लाह की क़सम खा ले (के फलां बात यूं होगी) तो अल्लाह उसकी कसम की लाज रख कर उसकी बात को ज़रूर पूरा कर दें, और किया मै तुम्हे ना बताऊँ के दोज़खी कौन है? (फिर आप ﷺ ने खुद ही इरशाद फ़रमाया) के हर वह शख्स जो माल जमा करके रखने वाला बख़ील सख्त मिजाज़  मग़रूर हो, 

(बुखारी) 


हज़रत अब्दुल्लाह बिन अम्रू बिन आस रज़ि अल्लाहो तआला अन्हो फरमाते हैं के रसूलुल्लाह ﷺ ने दोज़ख के ज़िक्र के वक़्त हुवे इरशाद फ़रमाया: दोज़खी लोगों में हर सख्त मिज़ाज फ़रबा बदन इतरा कर चलने वाला मुतकब्बिर, माल-ओ-दौलत खूब जमा करने वाला और फिर उसे रोक कर खूब जमा करने वाला यानी साइल को ना देने वाला, और जन्नती लोग वो हैं जो कमज़ोर हों यानी उनका रवैया लोगों के साथ आजिज़ी का हो वे दबाएं जाते हों यानी लोग उन्हें कमज़ोर समझ कर दबाते हों, 

(मुस्नद अहमद, मुजमउज़ज़वाइद)      


हज़रत जाबिर रज़ि अल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत है की रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फ़रमाया तीन खूबिया जिस शख्स में पाई जाएं अल्लाह ताआला क़यामत के दिन उसको अपनी रहमत के साये में जगह अता फरमाएंगे और उसे जन्नत में दाखिल कर देंगे, कमज़ोर से नरम बर्ताव करना माँ बाप से मेहरबानी का मामला करना और गुलाम से अच्छा सुलूक करना,

(त्रिमीज़ी)   


हज़रत इबने अब्बास रज़ि अल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत है की नबी करीम ﷺ ने इरशाद फ़रमाया: क़यामत के दिन शहीद को लाया जायेगा और उसको हिसाब किताब के लिए खड़ा कर दिया जायेगा, फिर सदक़ा करने वाले को लाया जायेगा और उसको भी हिसाब किताब के लिए खड़ा कर दिया जायेगा, फिर उन लोगों को लाया जायेगा जो दुनिया में मुख्तलिफ मुसीबतों और तकलीफों में मुब्तला रहे, ना उनके लिए मिज़ाने अद्ल कायम होगी और ना उनके लिए कोई अदालत लगाई जाएगी, फिर उनपर अज्र-ओ इनाम बरसाए जायेंगे की वो लोग जो दुनिया में आफ़ियत (चैन-ओ-सुकून) से रहे (उस बेहतरीन अज्र-ओ-इनाम को देख कर तमन्ना करेंगे के उनके जिस्म दुनिया में कैंचियों से काट दिए जाते (और उस पर वो सब्र करते)    

(तबरानी , मुजमउज़ज़वाइद)    

 

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