Hazrat Ali R A Ke Motiyon Se Qeemti Bol

हज़रत अली करीमुल्लाहु वजहु के मोतियों से क़ीमती बोल,



Rizwan Ahmed 22-Oct-2020


किसी का ज़र्फ़ देखना हो तो उसे इज़्ज़त दो 

फितरत देखना हो तो उसे आज़ादी दो 

नियत देखनी हो तो उसे क़र्ज़ दो 

खसलत देखनी हो तो उसके साथ खाना खाओ 

सब्र देखना उस पर तनक़ीद कर के देखलो 

ख़ुलूस देखना हो तो उससे मशवरा लो,

(हज़रत अली रज़िo)  


तंगदस्ती में सखावत करना गुस्से में सच बोलना 

ताक़त के होते हुवे माफ़ करना 

अफ़ज़ल तरीन नेकियों में से है,

(हज़रत अली रज़िo)  


हमेशा अख़लाक़ से बात करो क्योंकि इंसान पर सबसे ज्यादा मुसीबतें 

उसकी अपनी ज़बान की वजह से आती हैं,

(हज़रत अली रज़िo)  


बुरे इंसान से हमेशा परहेज़ करो क्योंकि वो तलवार की तरह है 

देखने में खूबसूरत और असर में खतरनाक है,

(हज़रत अली रज़िo)  


अगर कोई तुमसे भलाई की उम्मीद रखे तो उसे मायूस मत करो 

क्योंकि 

लोगों की ज़रूरत का तुमसे वाबस्ता होना 

तुम पर अल्लाह का खास करम है,

(हज़रत अली रज़िo)  


तोबा रूह का ग़ुसल है जितनी बार किया जाये 

रूह में निखार पैदा होता है, 

(हज़रत अली रज़िo)  


जिससे ज्यादा मोहब्बत हो उसी उतनी नफरत भी हो सकती है 

क्योंकि 

खूबसूरत शीशा जब टूटता है तो खतरनाक हथियार बन जाता है,

(हज़रत अली रज़िo)  


जब तुम्हे कोई खूबसूरत तोहफा दिया जाये तो उससे बेहतर वापस करो 

और जब कोई नेमत दी जाये तो 

तो उससे बढ़ा कर उसका बदला दो,

(हज़रत अली रज़िo)  


हमेशा अपनी छोटी छोटी गलतियों से बचने की कोशिश किया करो 

क्योंकि इंसान पहाड़ों से नहीं 

पत्थरों से ठोकर खाता है, 

(हज़रत अली रज़िo)  


अपनी सोच को पानी के क़तरों से भी ज्यादा शफाफ रखो क्योंकि 

जिस तरह क़तरों से दरिया बनता है 

उसी तरह सोचों से ईमान बनता है,

(हज़रत अली रज़िo)  


किसी के ख़ुलूस और प्यार को उसकी बेवकूफी मत समझो वरना किसी दिन 

तुम ख़ुलूस और प्यार तलाश करोगे 

और लोग तुम्हे बेवकूफ समझेंगे,

 (हज़रत अली रज़िo)  


लफ्ज़ इंसान के 

ग़ुलाम होते हैं मगर सिर्फ 

बोलने से पहले तक, बोलने के बाद

इंसान अपने अल्फ़ाज़ का गुलाम बन जाता है, 

 (हज़रत अली रज़िo)  


ये ज़िन्दगी दो दिन की है एक दिन तुम्हारे हक़ में 

दुसरे दिन तुम्हारे मुखालिफ 

जिस दिन तुम्हारे हक़ में हो उस दिन गुरूर मत 

करना 

और जिस दिन तुम्हारे मुखालिफ हो उस दिन 

सब्र करना,

(हज़रत अली रज़िo)  


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