Hazrat Abubakr Siddiqui RA

बीवी ने थोड़े दिनों में कुछ पैसे जमा कर लिए और मीठा बना दिया,  हज़रत अबूबक्र कहने लगे इसका मतलब इतना  पैसा हमे ज्यादा मिलता है, और फिर जितने पैसे रोज़ बीवी ने बचाये थे उतने  रोजाना के हिसाब से अपनी तन्खुवा में से कम कर दिए,



Rizwan Ahmed 05-Oct-2020

हज़रत अबूबक्र सिद्द्की रज़िo के यहाँ कपडे की तिजारत (व्यापार) होती थी, और इसी से घर का गुज़र बसर होता था,

जब खलीफा बनाये गए तो पहले ही की तरह कपडे का काम ज़ारी रखा, एक सुबह कपडा हाथों में डाले हुवे उसे  बाजार बेचने जा रहे थे, 

नोट: खलीफा एक तरह से बादशाह ही होता था,      

रास्ते में हज़रत उमर रज़िo मिले पुछा कहाँ जा रहे हो, बाजार जा रहा हूँ अबूबक्र रज़िo ने जवाब दिया, हज़रत उमर रज़िo बोले अगर इसी तरह तिजारत में मशगूल रहोगे तो खिलाफत का काम कौन करेगा,      

फ़रमाया फिर परिवार को खाना कहाँ से खिलाऊंगा, हज़रत उमर रज़िo कहने लगे चलो अबू उबैदा रज़िo के पास चलते हैं, अबू उबैदा रज़ीo जिनको प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अमीन का लक़ब दिया था, वो आपके लिए बैतूलमाल (सरकारी खज़ाना) से कुछ मुक़र्रर कर देंगे,

दोनों हज़रात उनके पास गए उन्होंने एक औसतन खर्चा तय कर दिया,  एक बार हज़रत अबूबक्र रज़िo की  बीवी ने दरख्वास्त की के कुछ मीठा खाने का दिल है, आपने कहा मेरे पास तो पैसे नहीं हैं, वो कहने लगी मै रोज़ाना के खर्चे से थोड़ा थोड़ा बचा कर जमा कर लूंगी कुछ दिन में इतने पैसे इकट्ठे हो जायेंगे जिनसे हम कुछ अच्छा सा मीठा बना लेंगे, आपने इजाज़त दे दी,

बीवी ने थोड़े दिनों में कुछ पैसे जमा कर लिए और मीठा बना दिया,  हज़रत अबूबक्र कहने लगे इसका मतलब इतना  पैसा हमे ज्यादा मिलता है, और फिर जितने पैसे रोज़ बीवी ने बचाये थे उतने  रोजाना के हिसाब से अपनी तन्खुवा में से कम कर दिए,


इतने बड़े खलीफा और पहले ही से कपडे के ताजिर उनकी कमाई उनकी और परिवार के लिए काफी थी, 

जैसा के उस ऐलान से मालूम होता है जो बुखारी में हज़रत आयशा से साबित है, के जब हज़रत अबूबक्र खलीफा बनाये गए' तो आपने फ़रमाया मेरी क़ौम को यह बात मालूम है के मेरा तिजारत का पेशा मेरे परिवार खानदान की ज़रूरत के लिए काफी था, लेकिन अब खिलाफत की वजह से मुसलमानो के काम में मशगूल रहता हूँ, 

इसलिए बैतुलमाल (सरकारी खज़ाना) से मेरे परिवार का खाना मुक़र्रर होगा, इसके बावजूद जब आपका आखरी वक़्त आया तो हज़रत आयशा से वसीयत फ़रमाई मेरी ज़रूरत की जो भी चीज़ें बैतूलमाल में हैं वो सब चीज़ें मेरे बाद आने वाले खलीफा के हवाले कर दी जाएँ, 

हज़रत अनस रज़िo फरमाते हैं के आपके पास कोई दीनार या दिरहम नहीं था, एक ऊंटनी दूध देने वाली ,एक प्याला और एक खादिम था, बाज़ रिवायत में एक ओढ़ना एक बिछोना भी आया है,    

यह सामान जब हज़रत उमर रज़िo के पास पहुंचा तो आपने फ़रमाया, के अल्लाह अबूबक्र पर रहम फरमाए अपने बाद वाले को मशक्कत में डाल गए, 


अल्लाहू अकबर, ये थे असली बादशाह कहलाने लायक हस्ती आजकल किसी को छोटा सा मंत्री संत्री बना दिया जाये वो इतना खज़ाना झूट धोका धड़ी  से इकठ्ठा कर लेगा के क़यामत तक भी न ख़तम हो,

      हज़रत उमर रज़िअल्लाहु अन्हो        

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