वो कैसी औरतें थीं... Rizwan Ahmed 29-07-21 जो गीली लकड़ियों को फूंक कर चूल्हा जलाती थीं जो सिल पर सुर्ख़ मिर्चें पीस कर सालन पकाती थीं सुबह...Read More
“मौत के वक़्त की कैफ़ियत” Rizwan Ahmed 14-07-2021 जब रूह निकलती है तो इंसान का मुंह खुल जाता है, होंठ किसी भी क़ीमत पर आपस में चिपके हुए नही...Read More