Ye bhi patrakar hain

 

Rizwan Ahmed 16-07-21


पुलित्ज़र पुरस्कार प्राप्त करने के बाद भी आपने मोर्चों का चुनाव नहीं छोड़ा। बंदूक़ से निकली उस गोली को हज़ार लानतें भेज रहा हूँ जिसने एक बहादुर की ज़िंदगी ले ली।जामिया से मास कम्यूनिकेशन की पढ़ाई कर फ़ोटोग्राफ़ी को अपना करियर बनाया। भारत का मीडिया घर बैठ कर अफ़ग़ानिस्तान की रिपोर्टिंग कर रहा है। किसी को पता भी नहीं होगा कि भारत का एक दानिश दोनों तरफ़ से चल रही गोलियों के बीच खड़ा तस्वीरें ले रहा है।

रविश कुमार की कलम से

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