Nooh Alaihissalam Ka Waqiya

अल्लाह के नबी नूह अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया तुम तो इंसानो को तकलीफ देते हो उनको काटते हो मै तुमको कैसे इस कश्ती में सवार करूँ, तो फिर वो सांप और बिच्छू रोने लगे और कहने के अल्लाह के नबी आप हमारी नस्ल को बचाएं हम आपसे वादा करते हैं के जो भी इंसान ये आयत पढ़ेगा हमें क़सम है अपने वुजूद की अपने  परवरदिगार की अपने ख़ालिक़ की हम कभी उस इंसान को नहीं काटेंगे उनको तकलीफ नहीं देंगे,

Rizwan Ahmed 16-Oct-2020

अल्लाह के नबी हज़रत नूह अलैहिस्सलाम अपनी उम्मत को बार बार अल्लाह का पैगाम सुनाते रहे के वो लोग एक दुसरे पे ज़ुल्म ना करें मोह्ब्बत को कायम करें एक दुसरे को नस्ल ज़ात के नाम पर तकलीफ ना दें, रिश्तों की क़द्र करें 

तो हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की क़ौम आपको पत्थरों से मारती और इतने पत्थरों से मारती के आप कई कई दिनों तक पत्थरों से ढके रहते पत्थरों में दबे रहते,


फिर सेहतयाब होते और फिर अल्लाह के दीन की तब्लीग़ करते,

यहाँ तक के 950 साल गुज़र गए आखिरकार अल्लाह के नबी नूह अलैहिस्सलाम ने अपने हाथों को आसमान की तरफ बुलंद किया और अल्लाह से दुआ मांगी, ऐ अल्लाह ये मेरी उम्मत कभी हिदायत नहीं पाएगी परवरदिगार ये तेरी तरफ आने वाले अज़ाब का मज़ाक उड़ाते हैं, इनको दिखादे के तू ताक़त रखता है 

बस फिर किया था अल्लाह का हुक्म नूह अलैहिस्साम के लिए आया के ऐ नूह एक बड़ी कश्ती तैयार करो और उसमे जहान के जानवर परिंदो को और उन इंसानो को जो तुम पर ईमान ले आये अपने साथ में ले लो,


और फिर अल्लाह के नबी नूह अलैहिस्सलाम दरख्तों से कश्ती बनाने में लग गए,  उधर वो पूरी क़ौम आप पर हंसती रही और आपका मज़ाक उड़ाती रही के नूह पागल हो गया है पहाड़ों में कश्ती चलाएगा, 

अल्लाह के नबी नूह अलैहिस्सलाम अल्लाह के हुक्म को मान कर कश्ती बनाने में मशरूफ रहे, तक़रीबन 100 सालों के बाद वो कश्ती तैयार होगई और नूह अलैहिस्सलाम तमाम जानवर और परिंदो को कश्ती में दाखिल कर ही रहे थे के इतनी देर में सांप और बिच्छू आपकी खिदमत हाज़िर हुवे और कहने लगे अल्लाह के नबी इस निजात की कश्ती में हमें भी सवार करो, 


अल्लाह के नबी नूह अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया तुम तो इंसानो को तकलीफ देते हो उनको काटते हो मै तुमको कैसे इस कश्ती में सवार करूँ, तो फिर वो सांप और बिच्छू रोने लगे और कहने के अल्लाह के नबी आप हमारी नस्ल को बचाएं हम वादा करते हैं के जो भी इंसान ये आयत पढ़ेगा हमें क़सम है अपने वुजूद की अपने  परवरदिगार की अपने ख़ालिक़ की हम कभी उस इंसान को नहीं काटेंगे उनको तकलीफ नहीं देंगे,


इस वादे के बाद अल्लाह के नबी नूह अलैहिस्सलाम ने सांप और बिच्छुओं के जोड़ों को भी अपने साथ कश्ती में सवार कर लिया, 
उस निजात की कश्ती में जो इंसान सवार हुवे जो मख़लूक़ात सवार हुई सिवाए उनके जो अल्लाह के नाफ़रमान थे, बस फिर किया था अल्लाह का अज़ाब आना शुरू हुवा, और अजाब भी कहाँ से आया अल्लाहु अकबर, एक बुढ़िया जो तंदूर पे रोटियां लगाती थी वो भी नूह अलैहिस्ससलाम को ताना मारती थी के ऐ बेटा तू शक्ल से तो भोला भाला मासूम लगता है तो फिर तू क्यों लोगों से झूंठ कहता फिरता है के अजाब आएगा, 
नूह अलैहिस्सलाम दुखी दिल से उस बुढ़िया से कहने लगे के अम्माँ डर अल्लाह के अजाब से कहीं ऐसा ना हो तेरे इस तंदूर से ही पानी निकलना शुरू हो जाये,

और हुवा भी यही अज़ाब पानी की शक्ल में उस बुढ़िया के तंदूर ही से निकलना शुरू हुवा, और इस कदर फैलना शुरू हुवा के उसने किसी को ना छोड़ा सिवाए उस कश्ती में सवार होने वालों के, एक रिवायत में तो ये आता है के उस दिन अल्लाह अगर रहम करता तो एक औरत पे करता जो अपने बच्चे को लेकर भागी जा रही थी, जब पानी उसके पेट तक आया तो उसने बच्चे को अपनी छाती पर कर लिया जब पानी छाती तक आया तो उसने बच्चे को सर पे उठा लिया लेकिन उस दिन कोई नहीं बचा, ना बच्चे ना बूढ़े ना जवान ना मर्द ना औरत,

तीन आदमी एक गुफा में छिप कर बैठ गए सोचा यहाँ पानी नहीं पहुंचेगा, तीनो को पेशाब लगा और पेशाब करने लगे अल्लाह ने उनका पेशाब ऐसा जारी किया के वो पिशाब करते करते अपने ही पेशाबों में डूब कर गर्क हो गए, 
 
तूफ़ान थमने के बाद कश्ती जहाँ रुकी नूह अलैहिस्सलाम अपनी क़ौम को लेकर वहीँ आबाद हो गए  हर मख़लूक़ात अपनी ज़िन्दगी बसर करने लगी , इस वाक़िये को हज़ारों साल गुज़र गए लेकिन किसी भी हैवान जानवर सांप बिच्छू ने इस आयत को आज तक नहीं भुलाया,   



अल्लाह ने अपनी किताब क़ुरान की सूरे as-saffat में इस आयत को क़यामत तक महफूज़ कर दिया, आज भी वीरान जंगल में किसी सांप बिच्छू या हैवान के सामने इस आयत को [पढ़ा जाता है,

          
तो सांप हो बिच्छू हो हैवान या जिन्नात हो इस आयत के एहतराम और इसके बारे में किये वादे की अहमियत को समझ कर उस इंसान के करीब नहीं आता, 
बेशक अल्लाह ने अपने क़ुरान में हर परेशानी मुसीबत और बीमारी का इलाज रखा है,,

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