Javed Akhtar Shayari
Rizwan Ahmed 14-Oct-2020
मुझे दुश्मन से भी खुद्दारी की उम्मीद रहती है
किसी का भी हो सर, क़दमों में सर अच्छा नहीं लगता
डर हमको भी लगता है रास्ते के सन्नाटों से
लेकिन एक सफर पे दिल अब जाना तो होगा,
ज़रा मौसम तो बदला है मगर पेड़ों की शाखों पर
नए पत्तों के आने में अभी कुछ दिन लगेंगे
बहुत से ज़र्द चेहरों पर गुबार-ए-ग़म है कम बे-शक
पर उन को मुस्कुराने में अभी कुछ दिन लगेंगे,
कभी जो ख्वाब था वो पा लिया था
मगर जो खो गई वो चीज़ किया थी,
जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता
मुझे पामाल रस्तों का सफर अच्छा नहीं लगता
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