Hazrat Dawood Ki Ummat Bandar Kyo Bani


Rizwan Ahmed 12-Oct-202        

मै आपका दोस्त रिज़वान अहमद R Entertainment में आपका स्वागत है,

हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम की क़ौम के 17000 लोग समुन्दर के किनारे एक बस्ती में रहा करते थे , इन लोगों को अल्लाह ने हज़ारों नेमतों से नवाज़ा था, लेकिन जब राहत और सुकून मिला तो ये लोग अल्लाह की इबादत से महरूम हो गए इबादत से दूर हो गए , 




अल्लाह की मखुलकात पे ज़ुल्म करने लगे, तो अल्लाह ने इनको खबरदार किया के हफ्ते में एक दिन तुम लोग मछलियों का शिकार नहीं करोगे , इतवार से लेकर जुमा तक जितना शिकार पकड़ना है पकड़ो लेकिन हफ्ते के रोज शिकार नहीं करोगे, ये एक दिन अल्लाह की इबादत और बाकी मखलूक के सुकून के लिए मुक़र्रर करो,


 और इस तरह अल्लाह ने उनका इम्तहान लेना शुरू कर दिया, इतवार से लेकर जुमा तक वो लोग शिकार करते तो तो ज्यादा मछलियां हाथ ना आती और हफ्ते यानी शनिवार के रोज़ उनको बड़ी बड़ी मछलिया किनारे पर नज़र आती,



तो शैतान ने उनमे से एक शख्स को बरगलाया कहा के तुम परेशान क्यों हो, मेरे कहने पर अमल करो तुम शिकार से कभी महरूम ना रहोगे,     


तो उस शख्स ने शैतान के बहकावे में आकर हफ्ते वाले रोज़ चुपके से डोरी में कांटा लगा कर छोड़ दिया करता और शैतान ने कहा तुम इस मछली को इतवार के रोज निकालना, और इस तरह अल्लाह का हुक्म भी बाकी रहेगा और हफ्ते के रोज भी तुम्हारा शिकार हो जायेगा,

और इस तरह शैतान की बताई हुई तरकीब पर हफ्ते के रोज मछली फसी रही और और वो इतवार के रोज़ मछली निकालता और ख़ुशी ख़ुशी उन्हें खाता, जब आसपास के लोगो ने उससे पुछा  उनको भी ये तरकीब बताने लगा, 


और फिर यूं उस क़ौम ने सरासर अल्लाह की नाफ़रमानी शुरू कर दी वो लोग हफ्ते के दें दिन जाल डाल देते और इतवार को मछलियां निकाल लेते, 

यहाँ तक के कुछ लोगों समुन्दर में से नालिया निकाल कर छोटे छोटे खड्डे बना  छोटे तालाब बना दिए ताकि हफ्ते के दिन मछलियां उधर आजायें और हम  इतवार को उन्हें निकाल लें,

उस गाँव में कुछ अल्लाह के नेक बन्दे भी मौजूद थे कहते के ये जो तुम चालाकी कर रहे तुम्हे किया लगता है अल्लाह इन सबसे अनजान है बेशक अल्लाह हर बात की खबर रखता है और कहते के याद रखना ये जो तुम हफ्ते को जाल बिछा देते हो और मछली निकाल लेते हो हफ्ते के दिन फसी मछली हफ्ते का ही शिकार कह लाएगी,  

वो लोग उन नेक लोगों का मज़ाक उड़ाने लगे और कहने लगे हमारी जो मर्ज़ी होगी हम वही करेंगे,    


    

इस तरह वहां 17000 लोगों में तीन गिरोह बन गए, एक वो जो उन नाफरमान लोगों को बार बार समझाते दुसरे वो जो उन लोगों से नफरत करते मगर खामोश रहते और तीसरे वो खुद जो गुमराह हो गए थे अल्लाह की नाफ़रमानी कर रहे थे,  

और इस तरह अल्लाह के नेक बन्दों ने बस्ती के बीच दीवार खड़ी कर दी और ऐलान कर दिया के अल्लाह का कोई भी नाफ़रमान इस तरफ ना आये और के जो भी अल्लाह के फरमा बरदार (आज्ञाकारी) हैं वो इस तरफ आजायें,


,वो लोग उन लोगों को बार बार समझते रहे कहते रहे के ऐ लोगों अल्लाह की नाफ़रमानी ना करो अल्लाह से डरो कौमे समूद कौमे लूत का जो अंजाम हुवा है उस अंजाम को याद करो, 

वो सारे नाफरमान जिनकी तादाद तक़रीबन 12000  थी उन पर हँसते रहे और चिल्ला चिल्ला कर कहते रहे हम पर कोई अजाब नहीं आएगा हम तो  में रहेंगे, 

बस फिर किया था जैसे ही वो लोग दो हिस्सों में बटें एक वो जो अल्लाह के नाफ़रमान थे दुसरे वो जो अल्लाह के फरमा बरदार थे और दीवार के उस तरफ थे,


वो नाफरमान बन्दे जो दीवार के इस तरफ थे वो सारी रात हँसते रहे और उन फरमा बरदारों का मज़ाक उड़ाते रहे,

और वो अल्लाह के ख़ास बन्दे अल्लाह से अपने और उनके लिए माफ़ी मांगने लगे, 

और फिर जैसे ही सुबह हुई और अल्लाह के वो नेक बन्दे जैसे ही सुबह को सो कर उठे उन्होंने महसूस किया के दीवार के उस तरफ से कोई आवाज़ नहीं आ रही,  और जैसे ही वो नेक बन्दे दीवार के ऊपर चढ़ कर उस ओर देखने लगे तो किया देखते हैं के वो अल्लाह के नाफ़रमान सारे के सारे उन की शक्लें बंदरों की शक्लों में तब्दील हो चुकी है, 


और बंदरों की हर हरकत को वो अंजाम दे रहे थे, और उनके जो भी रिश्तेदार नेक लोगों की तरफ थे उन्होंने अपने अपने रिश्तेदारों को उनके कपड़ों से पहचाना,

और वो लोग बहुत परेशान हुवे और उन सबके लिए अल्लाह से माफ़ी मांगने लगे लेकिन अल्लाह का अज़ाब जब आता है और हो कर रहता है फिर कोई माफ़ी नहीं होती,


वो 12000 लोग जो बन्दर बन चुके थे वो कुछ भी खा पी नहीं पा रहे थे और तीन दिन बाद वो लोग इस अजाब से निढाल हो गए थे और इसी हालत में खतम हो गए थे, 

बेशक अल्लाह उन को पसंद नहीं करता जो अल्लाह की नाफ़रमानी करते हैं, 

अल्लाह मेरे आक़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जितना हो सके उतना मर्तबा बुलंद करे, अगर रात दिन तड़प तड़प कर उन्होंने हम ज़ालिमों के लिए दुआएं ना की होतीं तो हमारे कारनामे भी बंदर और खंजीर बनने से कम नहीं, 



अल्लाह हम सबको अपना फर्माबरदार बन्दा बना हमे ऐसा बना दे जैसा तू हमे देखना चाहता है, आमीन 

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