Guzarta hai din kaam me uska nikalti hain fikr mei raten


Rizwan Ahmed 17-Oct-2020

वो बिखरता भी है टूटता भी है तकब्बुर के साथ भी रहता है 

वफ़ा के साथ रहता है और नए सितम ईजाद भी  करता  है 


उसका अंदाज़ कुछ इस तरह  है इस मुल्क की कहानी में 

दिए भी जलवाता है हमसे और हवा के साथ भी रहता    है,


है उसको शौक फैशन का और जेब में क़ीमती कलम रखना 

फ़क़ीरी की बातें   करता हैं और अमीरों के साथ भी रहता है 


अजब रंग-ए-ताल्लुक है मोहब्बत का उस के दिल     से 

मोहब्बत करता है वो सबसे नफरत के साथ भी रहता है 


गुज़रता है दिन काम में उसका निकलती हैं फ़िक्र में रातें 

वो भारत में  खूब घूमता है और विदेशों  में     भी रहता है 


अक्सर वो जनता को रुलाता है मगर वो वक़्त-ए -ज़रूरत खुद भी रोता है 

रहता है ज़ालिमों के साथ            चुनाव में मज़लूमों को भी याद करता है


खामोशी से देखे वो अबलाओं की         आबरुओं को लुटते हुवे 

मगर जब वक़्त पड़ता है तो कुत्ते की मौत पे भी बोलता रहता है 


महंगाई ज्यादा आमदनी कम इस बात का लेकिन नहीं उसको कोई ग़म

हिसाब ना जाने लाखों हज़ारों का      मगर वो बातें ट्रिलियन की करता है  


एक्टिंग में करता है वो दिलीप    अमिताभ    और       राजकपूर को भी    फ़ैल 

किसानो में बने किसान मगर दिल उसका बिड़ला अम्बानी के लिए धड़कता है, 



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