Gulzar Ke Behtreen Sher


 

Rizwan Ahmed ...R Entertainment


आप के बाद हर घड़ी हम ने

आप के साथ ही गुज़ारी है



आइना देख कर तसल्ली हुई

हम को इस घर में जानता है कोई


शाम से आँख में नमी सी है

आज फिर आप की कमी सी है



ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा

क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा



वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर

आदत इस की भी आदमी सी है



कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़

किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे



आदतन तुम ने कर दिए वादे

आदतन हम ने ए'तिबार किया



जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ

उस ने सदियों की जुदाई दी है



कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ

उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की



हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते

वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते



हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में

रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया



कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है

ज़िंदगी एक नज़्म लगती है



अपने साए से चौंक जाते हैं

उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा



मैं चुप कराता हूँ हर शब उमडती बारिश को

मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है



तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं

सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं



ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में

एक पुराना ख़त खोला अनजाने में



कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था

आज की दास्ताँ हमारी है



एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है

मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की



दिल पर दस्तक देने कौन निकला है

किस की आहट सुनता हूँ वीराने में



जब भी ये दिल उदास होता है

जाने कौन आस-पास होता है



सहमा सहमा डरा सा रहता है

जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है



उसी का ईमाँ बदल गया है

कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था



आप ने औरों से कहा सब कुछ

हम से भी कुछ कभी कहीं कहते



देर से गूँजते हैं सन्नाटे

जैसे हम को पुकारता है कोई



फिर वहीं लौट के जाना होगा

यार ने कैसी रिहाई दी है



दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई

जैसे एहसाँ उतारता है कोई



ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है

दर्द दिल का लिबास होता है



राख को भी कुरेद कर देखो

अभी जलता हो कोई पल शायद



वो उम्र कम कर रहा था मेरी

मैं साल अपने बढ़ा रहा था



वो एक दिन एक अजनबी को

मिरी कहानी सुना रहा था



आँखों के पोछने से लगा आग का पता

यूँ चेहरा फेर लेने से छुपता नहीं धुआँ



यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं

सोंधी सोंधी लगती है तब माज़ी की रुस्वाई भी

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