Pyare Aaqa Hindi Shayari


क्यों ना जान निसार करे कोई ऐसे प्यारे
आक़ा  पर 
जिनकी रिसालत की गवाही मुट्ठी में बंद कंकरियां भी देती हैं.!
(रिज़वान)


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