Ilhaai Tu Sunle

Rizwan Ahmed 26-September-2020

Rizwan Ahmed 26-September-2020

इलाही तू सुनले हम बेबसों की दुआ, 

तेरे सिवा बता कौन है हमारा आसरा   

जो ना की तेरी रहमतों ने राह हमारी रोशन, 

बता मेरे मालिक जाएंगे फिर हम कहाँ   

फैला है चारों और जो नफरतों का धुआं, 

रहमत की बारिशों से इसे तू ही अब हटा 

नहीं रहा हमदर्द इंसान का इंसान अब , 

ये किया माज़रा है मौला तू ही हमें बता 

गुनाह बढ़ गए हमारे इबतदातें भी घट गईं, 

हमें मालूम है ये गलतियां हमें है पता 

क्योंकर क़ुबूल हों सुन्नत फ़र्ज़ नमाज़ें हमारी, 

हर रकआत में हिसाब लगता है दुकानों का  

थोड़े हैं सदक़े थोड़ी हैं खैरात ज़कात हमारी, 

जितने भी हैं जैसे भी इन्ही को क़ुबूल फरमा 

पानी से सस्ता हो गया खून तेरे मानने वालों का, 

कुसूरवार हम भी हैं जो छोड़ा तेरा रास्ता 

अक्ल हमको दे समझ हमारे हुक्मरानों को भी दे, 

ना हम उनको बुरा कहें ना करें वो हमारा बुरा   

बहुत हो गया अब दुनिया से रंजिशों को मिटा दे, 

पहले हमें हिदायत साथ में उनको भी हिदायत पे ला....... 

आमीन या रब्बुल आलमीन,,  

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