2 Line Shayari In Hindi 50 +
खुशी हो या दुख दोनो में नींद हराम है
दुख वाली रात सोया नही जाता खुशी वाली रात सोने नही देती.!!
(रिज़वान)
तुम्हारे दो होठों के बीच वाली चीज जिसे ज़बान कहते हैं
सोच कर चलाया करो इसे दिलों का मरहम भी है ये, कलेजा चीरने की तलवार भी.!!
(रिज़वान)
ना बादशाह बचे ना ना इससे बचे वज़ीर ओ फकीर
मौत सबको आनी है यही है सबकी सच्ची तक़दीर.!!
(रिज़वान)
उसने झूठा कह कर मार ही डाला
वरना लफ़्ज़ों से मेरी मौत कहाँ मुमकिन थी.!
(रिज़वान)
अब तेरे बाद कोई नज़ारा नज़र नही आता
तू तो जाते जाते इन आँखों की बिनाई ले गया .!!
(रिज़वान)
वो कैसा सुबह का भूला है जो अब तक नही आया
पलट कर रोज़ शाम को परिंदे भी घर आ जाते हैं.!!
(रिज़वान)
आखरी सांस तक लब पर तेरा ज़िक्र तेरा नाम रहेगा
ये ज़रूरी तो नही तेरा ज़िक्र सिर्फ दुआओं में हो.!!
(रिज़वान)
मेरे मुस्कुराने की आदत से लोग गलत फहमी का शिकार हैं
अच्छी आदत है ये मेरे दर्द को छिपाए रखती है.!!
(रिज़वान)
तुझे भी अहसास हो जाएगा एक रोज मोहब्बत किसको कहते हैं
तेरी आँखों का पानी जिस दिन तेरे चेहरे पे आएगा.!!
(रिज़वान)
बोलो इस तरह भी किया कोई अचानक बदलता है
मौसम भी बदलने से पहले इशारा करता है.!!
(रिज़वान)
ऐ खुदा किया है ये माज़रा ये किया हो गया मुझको
नज़र ना आये तो उसकी तलाश जो आजाये नज़र तो ना देखना उसको.!!
(रिज़वान)
खाते खाते आज फिर तेरी याद आ गई
फिर यूं हुवा भूख फिर से अधूरी रह गई.!!
(रिज़वान)
चलो ऐसा करते हैं इन यादों को दफन करते हैं
मेरे सीने पे इनका बोझ मेरी ताकत से भारी है.!!
(रिज़वान)
तू जिसका मुकद्दर है उसे तू मुबारक
मेरे मुकद्दर में तेरी यादें रहने दे.!!
(रिज़वान)
ना कभी हाथ मले ना हमने कभी सोग मनाया
ये अलग बात है हमने अपना सबकुछ गंवाया.!
(रिज़वान)
मेरी ज़ात पे कीचड़ उछालने वालों मेरा मशवरा सुनलो
तुम्हारे हाथ भी सन चुके हैं इन्हें अच्छे से धो लो .!!
(रिज़वान)
जाओ जाओ जनाब हमने भी बहुत कुछ देखा है
कोई मर जाए किसी पे ऐसा तो कुछ नही देखा है.!!
(रिज़वान)
तुम हसीन हो तो होंगे जाओ भाड़ में
किया मेरा अपना कोई किरदार नही.!
(रिज़वान
सुनो तुम तो रुसवा ना करो तुम तो मेरे अपने हो
गैरों की बात जाने दो उनकी परवाह करता कौन है.!!
(रिज़वान)
मैंने खामोशी से ही खुद को उससे अलग कर लिया
उसके हावभाव से महसूस हुआ उलझन है मुझसे उसे.!
(रिज़वान)
हर रास्ता कब्रिस्तान ही की तरफ जाता है
बताओ साहब गुरुर किस बात पर करें.!!
(रिज़वान)
हौंसला रखो वक़्त के साथ जीना आ ही जाता है
हर कोई मरता नही किसी से बिछड़ जाने के बाद.
(रिज़वान)
इक तेरी बेरुखी ने उसे भी चकनाचूर कर दिया
जिस दिल को लोगों ने पत्थर से सख्त बताया था.!!
(रिज़वान)
सुनो मेरे लिए वो घड़ी पूरी कायनात है
जिस घड़ी में तू ही तू बस मेरे साथ है .!!
(रिज़वान)
यूं तो सबकुछ होता है
बस तेरे बगैर गुज़ारा नही होता.!!
तलाश करते हैं रिज़्क़ की राज़िक को भूल कर
रोज़ी की फिक्र करते हैं रोज़ी देने वाले को भूल कर.!!
(रिज़वान)
लोग ना जाने क्यों अपने ज़मीर को मार बैठे
हुक्म ए रब्बी तो था अपने नफ़्स को मारो.!
(रिज़वान)
हर नस्ल विरासत में हीरे मोती नगीने नही देती
औलाद भी किया चीज़ है ब्लिकुल जीने नही देती.!
(रिज़वान)
दिल मेरा मुझसे परेशान मैं दिल से परेशान
मुझे याद नही करना वो भूलने नही देता.!!
(रिज़वान)
तुझे नींद आ गई सब्र मुझे आ गया
जुदाईयोँ के जखम वक़्त ने भर दिए.!
(रिज़वान)
भूल जाता है तुझे ज़मीन ही से देखा जाता है
बात आसमान तू किस बात पे इतराता है.!!
(रिज़वान)
वो मारता है तू भी मार ही डालता है
ऐ इश्क तू कहाँ मौत के फरिश्ते से कम नज़र आता है.!!
(रिज़वान)
मुज़रिम बनने के आंखे खुलीं
मोहब्बत गुनाह है काश पहले पता चलता.!!
(रिज़वान)
फरिश्ता बनने से अच्छा है इंसान बनो
इंसान बनने में लगती है मेहनत ज्यादा.!
समझदार इतना है इंसान मंसूबा ए ज़िन्दगी में ज़िन्दगी को भूल जाता है
आती है हंसी उसकी समझदारी पे मौत से डरते डरते मौत को भूल जाता है.!!
(रिज़वान)
मिल भी जाये गर तुझको दरिया तो समुंदर की तलाश ना छोड़
बात सुन मंज़िल से आगे मंज़िल की तलाश ना छोड़.!!
(रिज़वान)
कहाँ मिलेगा इस दौर में ऐसा आका जो खुद पैदल चलता हो
गुलाम को ऊंट पर बिठाने से से जिसका दिल ना जलता हो.!!
(रिज़वान)
गुनाह कर चुका है या गुनाह करने वाला है
ज़मीर ज़िंदा है तो कभी भी जाग सकता है.!!
(रिज़वान)
तू मंज़िल की और जा रहा है या रास्ता भटक चुका है
पूछ अपने किरदार से घर मंज़ूर हो तुझे उसकी गवाही .!!
(रिज़वान)
उसको आता है नियतों से नतीज़ों का निकालना
तू माथे पे सज़दे का निशान लेकर इतराता है.!!
(रिज़वान)
बना ले खुद को मर्दे मोमिन बदल सकता है तू तकदीरें
कोई अंदाज़ा नही कर सकता फिर तेरे ज़ोर ए बाज़ू का.!!
(रिज़वान)
है तुझ में सच्ची मुसलमानी तो फूल से यतीमों को सीने से लगा
कब्रों पे फूल चढ़ाना तो कोई बड़ी बात नही.!!
(रिज़वान)
वक्त मुकर्रर है जब अल्लाह की तरफ से मौत का
ज़ालिम के डर से क्यों रोज़ मरने से पहले मरें.!!
(रिज़वान)
नशा बढ़ जाता है जब एक शराब दूसरी शराब में मिले
सोचता हूँ उसके ग़म को भी बाकी ग़मो में शामिल कर लूं.!!
(रिज़वान)
किस मुँह से कहूं उम्र भर मैं उसी का रहा
बहुत सी ख्वाहिशों ने इस दिल मे पनाह लीं हैं.!!
(रिज़वान)
दिल का शहर प्यासा ना रहने पाये
इस तरह जम के बरस आज तू प्यारे बादल.!!
(रिज़वान)
वो निगाहें झुका कर हमें मरने से बचा लेती है
हमने कई बार उसकी आँखों मे डूबने की कोशिश की है.!
(रिज़वान)
जब भी देखे वो तिरछी नज़र ही से देखे
टेढ़ी बहती हुई नदी में डूब कर कौन मरे.!
(रिज़वान)
No comments