lahu begunahon ka kabhi bekar nahi jata

 


Rizwan Ahmed (Saif)


  • लहू बे गुनाहों का कभी बेकार नहीं जाता है 
  • दाग़ कपड़ों पे नहीं आता है तो दिल पे आता है

  • हो चूका है दिन एक फैसले का मुकर्रर 
  • जिस दिन कोई ज़ालिम बख्शा नहीं जाता है 

  • सदियों से ज़माना हमारे खून को दुश्मन है रहा 
  • यकीन ना हो तुमको तो कर्बला है इसका गवाह  

  • ज़ुल्म दुनिया में बराबर अब भी हो रहा है 
  • आदमी मगर ज़रा शर्मिंदा नहीं हो रहा है 

  • हो चूका है दिन एक फैसले का मुकर्रर 
  • जिस दिन कोई ज़ालिम बख्शा नहीं जाता है 

  • जिसको तुम मारते है उसकी माँ कैसे रोती होगी 
  • कैसे अपने कलेजे के टुकड़े के लिए तड़पती होगी 

  • काश कर लेते ज़रा इस बात का तुम अहसास 
  • ज़ुल्म को ज़रा ना उठते कभी भी तुम्हरे हाथ 

  • हो चूका है दिन एक फैसले का मुकर्रर 
  • जिस दिन कोई ज़ालिम बख्शा नहीं जाता है 

  • कल यज़ीद की हुकूमत थी आज तुम्हारी है 
  • लेकिन आसमान पे इंसाफ करने की तयारी है 

  • हिसाब लेगा वो हर किसी से उसके ज़ुल्मों का 
  • देर करता है मगर काम कोई नहीं उसके यहाँ अंधेरों का

  • हो चूका है दिन एक फैसले का मुकर्रर 
  • जिस दिन कोई ज़ालिम बख्शा नहीं जाता है 

  • नहीं छुपता उससे ज़मीन का एक ज़र्रा भी 
  • चहल पहल दिन की हो या आहट हो अंधेरों की 

  • अच्छा हो वो चाहे बुरा  सबको वो जानता है 
  • वो खुदा है सबकी असलियत पहचानता है 

  • हो चूका है दिन एक फैसले का मुकर्रर 
  • जिस दिन कोई ज़ालिम बख्शा नहीं जाता है 
नोट:मैं चाहता हूँ आगे भी इसी तरह कोई भी तानाशाह सरकार के बारे में इसी तरह लिखता जाऊं इसके लिए मुझे आप सब की सपोर्ट चाहिए तीन सालों से इस वेबसाइट को चला रहा हूँ बहुत पैसा खर्च कर चूका हूँ आप लोग मुझे सपोर्ट करें 

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