Deepak Tijori

वो इकलौता हीरो जो दो दो फिल्मों  शाहरुख़ की हीरोइन  उड़ा, 


Rizwan Ahmed 30-September-2020 

हेलो दोस्तों मै रिज़वान अहमद और आज मै आपके लिए एक और रोचक फ़िल्मी जानकारी लेकर आया हूँ, 

यूं तो ज्यादातर फिल्मों में हमने हमने शाहरुख़ खान को दुसरे हीरो की हीरोइन के पीछे भागते हुवे देखा है लेकिन एक एक्टर ऐसा भी है जिसने एक नहीं बल्कि फिल्मो में शाहरुख़ की हीरोइन को उनसे छीना है,

भारतीय सिनेमा में शाहरुख खान को किंग ऑफ रोमैंस कहा जाता है. लेकिन एक एक्टर ऐसा भी है, जो उनके हाथ से हीरोइन ले उड़ा. वो भी दो-दो बार. ये एक्टर हैं दीपक तिजोरी. हिन्दी फिल्म में हीरो के दोस्त का किरदार हमेशा से बहुत खास रहा है. इस सबजेक्ट में दीपक ने पीएचडी की हुई है. फिल्म में हीरो का जीवनसाथी चुनने से पहले इनका सेलेक्शन होता था. फिर उम्र बढ़ती गई और हीरो सेल्फ डेपेंडेंट हो गए. इसके बाद सबका साथ देने वाले दीपक का साथ किसी ने नहीं दिया. सपना दीपक का भी हीरो बनने का ही था लेकिन किस्मत साथ नहीं दे रही थी. एक बार मौका मिला था. जब शाहरुख और आमिर जैसे सितारों के साथ इन्हें फिल्म में हीरो बनाया गया. लेकिन उस फिल्म का साथ दर्शकों ने नहीं दिया और फिल्म डूब गई.

‘पहला नशा’ वो एकमात्र फिल्म है. जिसमें शाहरुख और आमिर खान ने एक साथ काम किया है. हालांकि इसमें इन दोनों कलाकारों ने गेस्ट रोल किया था.


फिर इन्होंने डायरेक्शन में कदम रखा. उन्होंने ‘खामोश- खौफ की रात’ (2003), ‘फरेब’ (2005), ‘टॉम डिक एंड हैरी’ (2006) और ‘फॉक्स’ (2009) जैसी फिल्में डायरेक्ट की. यहां कहानियों ने साथ नहीं दिया. इसके बाद दीपक तिजोरी का पुकार नाम ‘खाली तिजोरी’ और ‘दीपक तले अंधेरा’ पड़ गया. बीच में उन्होंने कुछ टीवी सीरिसल में भी उन्होंने काम किया. जो पसंद भी की गईं. लेकिन तब तक पर्सनल लाइफ में दिक्कतें शुरू हो गईं. लेकिन इस आदमी ने कभी हार नहीं मानी.

1988 में आई फिल्म ‘तेरा नाम मेरा नाम’ से अपना फिल्मी करियर शुरू करने वाले दीपक 28 अगस्त, 1961 को मुंबई में पैदा हुए थे. स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई वहीं से पूरी हुई. थोड़ा बहुत ड्रामा का शौक था. इसलिए पढ़ाई-लिखाई के साथ एक थिएटर ग्रुप जॉइन कर लिया. आमिर खान, परेश रावल, आशुतोष गोवारिकर और विपुल शाह पहले से ही उस ग्रुप के मेंबर थे. दोस्तों ने दीपक की एक्टिंग को अप्रीशिएट किया. इसके बाद दीपक एक्टिंग में ही करियर बनाने को लेकर सीरियस हो गए.

अपने एक इंटरव्यू में दीपक ने बताया कि एक्टिंग का डिसीज़न तो ले लिया लेकिन काम मिल ही नहीं रहा था. प्रोड्यूसरों से मिलने के लिए उन्हें तीन साल ऑफिसों के चक्कर काटने पड़े. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. इस दौरान एक होटल में काम किया. एक मशहूर सिनेमा मैग्ज़िन में भी काम किया. आखिरकार 1988 में पहला मौका मिला. फिल्म थी ‘तेरा नाम मेरा नाम’. रमेश तलवार डायरेक्टेड इस फिल्म में उन्हें करण शाह, तन्वी आज़मी और सुपर्णा आनंद के साथ काम करने का मौका मिला. इस फिल्म में पहली बार उन्होंने सपोर्टिंग रोल किया. ये सोचकर कि शुरुआत कर लेते हैं, लीड रोल्स आगे कर लेंगे. लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा कभी हो नहीं पाया.

उनके फिल्मी करियर और जीवन से जुड़े कुछ किस्से मै आपको बताऊंगा पढ़िए-

फिल्म ‘तेरा नाम मेरा नाम’ का पोस्टर और दूसरी ओर दीपक तिजोरी.


1.) एक बड़ी फिल्म में हीरो का रोल करने वाले थे, बाद में उसी फिल्म में हीरो के दोस्त का रोल किया,

‘तेरा नाम मेरा नाम’ के बाद उन्हें कुछ और फिल्मों में साइड रोल मिले. लेकिन उन्हें पहचान दिलाई महेश भट्ट की फिल्म ‘आशिकी’ ने. ये फिल्म महेश भट्ट की पहली शादी की कहानी पर आधारित थी. महेश ने इस फिल्म में लीड रोल के लिए दीपक तिजोरी को साइन कर लिया था. इसी दौरान महेश यूनिसेफ (UNICEF) के साथ काम कर रही इंदिरा रॉय के घर किसी काम से गए. यहां महेश ने उनके बेटे राहुल को स्पॉट किया. इसके बाद उन्होंने तय कर लिया कि उनकी फिल्म का हीरो यही लड़का होगा. ये बात उन्होंने लौटने के बाद दीपक को भी बताई. दीपक निराश थे. लेकिन महेश ने उन्हें फिल्म से निकाला नहीं था. उनके लिए एक नया किरदार गढ़ा था.


इस फिल्म में दीपक को बल्लू के कैरेक्टर में कास्ट किया गया था, जो हीरो का बेस्ट फ्रेंड था. ये फिल्म रिलीज़ हुई और बहुत बड़ी हिट हुई. इसके बाद लोग दीपक को पहचानने लगे. इंडस्ट्री ने भी बतौर एक्टर उनपर भरोसा दिखाना शुरू कर दिया. काम मिलने लगा. लेकिन कैरेक्टर में ज़्यादा वेरिएशन नहीं मिल रही थी. वही हीरो के दोस्त का किरदार हर दूसरी फिल्म में ऑफर हो जाता था.

2.) जिस रोल के लिए अक्षय कुमार ने ऑडिशन दिया वो दीपक को मिल गया

‘आशिकी’ में उनके काम से इंप्रेस होकर महेश भट्ट ने उन्हें अपनी दो और फिल्मों में काम दिया. ये फिल्में थीं ‘दिल है कि मानता नहीं’ (1991) और संजय दत्त स्टारर ‘सड़क’ (1991). जहां ‘दिल है कि…’ में उनका कैमियो था, वहीं ‘सड़क’ में उनका किरदार एक बार फिर हीरो के खास दोस्त का था. फिल्म में ‘गोट्या’ का उनका किरदार बहुत पसंद किया गया था. लेकिन इसके बाद उन्हें एक एंटी-हीरो कैरेक्टर मिला, जो उनके पिछले रोल्स से अलग था. ये फिल्म थी आमिर खान स्टारर ‘जो जीता वही सिकंदर’ (1992). इस फिल्म में दीपक के कास्ट होने के पीछे का किस्सा भी बहुत रोचक था.

फिल्म ‘जो जीता वही सिकंदर’ के एक सीन में आमिर खान और दीपक तिजोरी. इस फिल्म का एक बड़ा हिस्सा दोबारा शूट करना पड़ा क्योंकि हीरोइन और दूसरे हीरो ने बीच में ही फिल्म छोड़ दी थी


मंसूर खान की इस फिल्म के लिए आमिर खान के बाद दूसरे लीड रोल के लिए अक्षय कुमार ने ऑडिशन दिया था. लेकिन उन्हें वो फिल्म नहीं मिली. ये रोल दिया गया मॉडल से एक्टर बने मिलिंद सोमण को. तमिल नाडु के कोडैकनाल में फिल्म की शूटिंग शुरू हुई. 60 दिन फिल्म शूट करने के बाद मिलिंद ने किन्हीं वजहों से वो फिल्म छोड़ दी. इसके बाद इस रोल के लिए दीपक तिजोरी को कास्ट कर पूरी फिल्म दोबारा शूट करनी पड़ी. ‘जो जीता वही सिकंदर’ में दीपक ने शेखर मल्होत्रा नाम के एक कॉलेज स्टूडेंट का रोल किया था. इसमें दीपक को कुछ अलग करने को मिला क्योंकि उनका किरदार ग्रे शेड का था. फिल्म के आखिर में आमिर उन्हें ही हराकर साइकल रेस जीतते हैं. बाद में उसी साल रिलीज़ हुई फिल्म ‘खिलाड़ी’ में अक्षय कुमार ने लीड रोल किया जबकि दीपक के हिस्से उस फिल्म में भी हीरो के दोस्त का ही रोल आया.

3.) जब डायरेक्टर को दीपक दिखने ही बंद हो गए

अगले कुछ सालों में दीपक साइड रोल के लिए सबके फेवरेट हो गए थे. लेकिन 1994 में आई फिल्म ‘कभी हां कभी ना’ में उन्हें शाहरुख खान के साथ पैरलेल लीड रोल करने का मौका मिला. ‘कभी हां कभी ना’ शाहरुख की शुरुआती फिल्मों में से थी. लेकिन इसकी रिलीज़ तक वो 1993 में आई ‘डर’ और ‘बाज़ीगर’ जैसी फिल्में कर स्टार बन चुके थे. इस फिल्म को डायरेक्ट कर रहे थे कुंदन शाह. कुंदन और शाहरुख का साथ पुराना था. दोनों ने कई प्रोजेक्ट्स पर साथ काम किया हुआ था. कुंदन बताते हैं कि वो शाहरुख के उनके टीवी के दिनों से फैन हैं. वो इतनी कमाल एक्टिंग करते हैं कि उनसे नज़र ही नहीं हटती.

‘कभी हां कभी ना’ की शूटिंग चल रही थी. शाहरुख और दीपक बीच एक सीन फिल्माया जा रहा था. दीपक की आदत थी कि वो हर शॉट के बाद जाकर डायरेक्टर से अपने काम के बारे में पूछते थे. इस सीन के बाद भी उन्होंने ऐसा ही किया. वो सीन खत्म होते ही कुंदन के पास पहुंचे और उनसे अपने सीन के बारे में पूछा. कुंदन ने कहा कि वो उन्हें रीटेक के बाद बताएंगे. लेकिन समस्या ये थी कि कुंदन ने दीपक को देखा ही नहीं था. रीटेक के बाद दीपक फिर से कुंदन के पास पहुंचे और अपना सवाल दोहराया. लेकिन कुंदन फिर से कुछ नहीं बता पाए. इससे दीपक नाराज हो गए. उन्होंने जब इसके पीछे का कारण पूछा तो पता चला कि वो शाहरुख की एक्टिंग देखने में इतने खो गए कि दीपक को देख ही नहीं पाए.

फिल्म ‘कभी हां कभी ना’ के एक सीन में सुचित्रा कृष्ममूर्ति, शाहरुख खान और दीपक तिजोरी.


4.) जब पत्नी ने घर से निकाल दिया तो पता चला शादी ही फर्जी थी

2017 में दीपक की पत्नी शिवानी तोमर ने उन्हें उनके ही घर से निकाल दिया. उनका इल्जाम था कि उनके पति के दूसरी महिलाओं के साथ विवाहेत्तर संबंध हैं. जब अपनी पत्नी पर एक्शन लेने के लिए दीपक अपने काउंसलर के पास पहुंचे तो उन्हें कुछ और ही पता चला. उनके काउंसलर ने उन्हें बताया कि शिवानी ने अपने पिछले पति को तलाक दिए बगैर उनकी शादी कर ली थी. इसलिए शिवानी के साथ उनकी शादी कभी लीगल थी ही नहीं. इतने सब तमाशे के बाद अब ये जोड़ा अपना मामला कोर्ट में ले गया है. शादी की वैधता संदेह के घेरे में होने के बावजूद शिवानी ने दीपक से अपनी बेटी के भरण-पोषण के लिए 1 लाख रुपए प्रति महीने गुज़ारा भत्ते की मांग की थी. दीपक और शिवानी की दो दशक से ज़्यादा पुरानी शादी से एक समारा नाम की एक बेटी है.

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